Tuesday, May 13, 2025

“धर्म के नाम पर आग फैला रहा सुप्रीम कोर्ट” वाले बयान से मचा बवाल,बीजेपी ने निशिकांत दूबे के बयान से किया किनारा

SupremeCourtOfIndia :वक्फ कानून का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया है. इसी बीच झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर बड़ी टिप्पणी कर दी है.  उन्होंने कहा कि यदि कानून सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए. इसके बाद भाजपा नेता निशिकांत दूबे ने एक और बयान देते हुए कहा कि हमने आईटी एक्ट बनाया, आईटी एक्ट में सबसे ज्यादा दुखी महिलाएं और बच्चे है. एक दिन सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट खत्म कर दिया.

SupremeCourtOfIndia को नहीं , संसद को कानून बनाने का अधिकार- निशिकांत दूबे 

उन्होंने कहा कि अभी मैंने आर्टिकल 141 का अध्ययन किया है. आर्टिकल 141 कहता है कि हम जो कानून बनाते है वो लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लागू है लेकिन कानून बनाने वाला आर्टिकल 368 क्या कहता है कि इस देश के संसद को सभी कानून बनाने का अधिकार है. कानून की व्याख्या करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को है. कोर्ट कह रहा है कि तीन महीने में राष्ट्रपति और राज्यपाल बता दें कि क्या करना है.

‘सुप्रीम कोर्ट- धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार”

उन्होंने कहा कि जब राम मंदिर का विषय होता है तब सुप्रीम कोर्ट कहता है कागज दिखाओ, कृष्ण जन्मभूमि के मामले में कहते है कागज दिखाओ, ज्ञानव्यापी मस्जिद की बात आएगी तो कहते हैं कागज दिखाओ और आज केवल आप मुगलों के आने के बाद मस्जिद जो बनी है उसके लिए कहते है कि कागज कहां से दिखाओ. इस देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए केवल और केवल सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है.

‘सुप्रीम कोर्ट सीमा से जा रहा बाहर’ – निशिकांत दूबे 

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है, सुप्रीम कोर्ट की ये सीमा है कि उसे कानून की व्याख्या करनी है. अगर व्याख्या नहीं कर सकती है और सब कुछ के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, उसे बंद कर देना चाहिए.

उपराष्ट्रपति ने भी दी प्रतिक्रिया

हालांकि इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी अदालतों को लेकर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा कि भारत में ऐसी स्थिति नहीं हो सकती जहां न्यायपालिका राष्ट्रपति को निर्देश दे. संविधान का अनुच्छेद 142 न्यायपालिका के लिए लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बन गया है.

बीजेपी ने निशिकांत दूबे के बयान से किया किनारा 

निशिकांत दुबे के बयान से सियासी भूचाल शुरु हो गया और कांग्रेस ने इसे हाथों हाथ उठा लिया. कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भाजपा नेता के इस बयान को संविधान के मूल भावना के  खिलाफ बताया . सलमान खुर्शीद ने कहा कि चाहे वो  आम लोग हों या कोई सांसद, अगर कोई सुप्रीम कोर्ट या किसी अन्य अदालत पर सवाल उठाता है तो ये बहुत दुखद है.

वहीं इस मुद्दे पर बिना देरी किये बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर ये साफ कर दिया कि निशिकांत दूबे के बयान से बाजीपी पार्टी का कोई लेना -देना नहीं है. ये उनकी निजी राय है.

निशिकांत दूबे ने और क्या क्या कहा 

भाजपा  सांसद समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुएस सवाल किया कि ” आप नियुक्ति प्राधिकारी को निर्देश कैसे दे सकते हैं? राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं, संसद इस देश का कानून बनाती है. आप उस संसद को निर्देश देंगे?”

 भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स पर लिखा पोस्ट

“भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है। भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं तथा संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं। मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है”

निशिकांत दूबे के बयान पर लगी प्रतिक्रियओं की झड़ी

हलांकि बीजेपी ने इस बयान से पूरी तरह से किनारा कर लिया है और इसे निशिकांत दूबे का निजी बयान कहा है लेकिन विपक्ष इसे ऐसे ही जाने देने के मूड में नहीं है. कांग्रेस नेता जराम रमेश का कहना है कि अब देश में सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश हो रही है. संवैधानीक पद पर बैठे लोग, बीजेपी के सांसद सब सुप्रीम कोर्ट को खिलाफ बोल रहे हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट एक बात कह रहा है कि देश में जब कोई कानून बने तो उसे संविधान के मूल भावना के खिलाफ नहीं जाना चाहिये.अगर कानून संविधान के खिलाफ है तो इसे स्वीकार नहीं किया जायेगा. कांग्रेस नेता का कहना है कि यहां जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे कई मुद्दों को असंवैधानिक कहा है.

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