Bihar RJD-Congress : दिल्ली विधान सभा में भले ही कांग्रेस का खाता भी ना खुला हो लेकिन कांग्रेस की रणनीतियों का असर अब दूसरे सहयोगियों पर नजर आने लगा है. बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी और यूपीए गठबंधन के मजबूत सहयोगी राजद ने साफ किया है कि आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़गें.
Bihar RJD-Congress : आपसी फूट का तीसरे को मिला फायदा !
दरअसल लोकसभा चुनाव के बाद हुए एक के बाद एक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद लगातार ये देखा जा रहा था कि राज्यों में यूपीए में सहयोगी पार्टियां भी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने में परहेज करती नजर आ रही थी. हरियाणा में हुई हार का असर महाराष्ट्र और अब दिल्ली चुनाव में भी देखने के लिए मिला. दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने साफ तौर से कांग्रेस को साथ लेने और किसी भी तरह से साथ चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. नतीजा ये हुआ कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी का वोट बंट गया और तीन बार से सत्ता का स्वाद चख रही आम आदमी पार्टी को बीजेपी ने जोररदार पटखनी देते हुए 48 सीटों पर कब्जा कर लिया.
बिहार में कांग्रेस और राजद एक साथ लड़ेंगे विधानसभा चुनाव – मनोज झा,नेता आरजेडी
अब इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में कांग्रेस ने बिहार में संगठन के स्तर पर कई बदलाव किये हैं. अपने युवा रणनीतिकार कृष्णा अल्लवरु को प्रदेश की कमान सौंपी है. ऐसे में कांग्रेस की रणनीति साफ नजर आ रही है. कांग्रेस जीतने के लिए ना भी लड़े तो समान विचारधारा वाली पार्टी का वोट बांटकर नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसे में बिहार में राजद के वरिष्ठ नेता मनोज झा ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस को साथ लेकर चलेगी. हलांकि सीट शेयरिंग के सवाल पर मनोज झा ने कहा कि सीट शेयरिंग का फैसला प्रेस कांफ्रेंस में नहीं बल्कि पार्टी के स्तर पर होगा है.
हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस ने लिया सबक ?
हरियाणा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की रणनीतियों में बड़ा परिवर्तन देखने के लिए मिल रहा है. कांग्रेस किसी सहयोगी के दवाब में ना आने की नीति पर काम करते हुए ‘एकला चलो’ की नीति पर काम कर रही है. कांग्रेस की रणनीतियों को देखते हुए ये तय माना जा रहा है कि बिहार चुनाव में भी पार्टी पूरे दम खम के साथ मैदान में उतरेगी. ऐसे में राजद का ये फैसला एक एहतियाती कदम की तरह देखा जा रहा है.