Saturday, November 15, 2025

Bihar Polls: पहले चरण की वोटिंग में चुनाव आयोग और विपक्ष की परिक्षा, SIR और वोट चोरी के आरोपों का दिखेगा असर ?

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Bihar Polls: गुरुवार को बिहार चुनाव के पहले चरण का मतदान होने जा रहा है. वैसे तो बिहार चुनाव ही देश की राजनीति में खास माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि बिहार के नतीजे केंद्र की सरकार की किस्मत तय करेंगे. ये नतीजे सिर्फ सत्ता नहीं सत्ता में बैठे दल एनडीए के समीकरण को भी बदल सकते है. इसके साथ ही ये बीजेपी और आरएसएस के रिश्तों और बीजेपी संगठन बड़ा या संघ या कहें मोदी- शाह की गुजरात लॉबी के वर्चस्व को भी तय करेंगे . देखा जाये तो बिहार चुनाव के परिणाम देश में भले ही सरकार न बदल पाए लेकिन प्रधानमंत्री के बदलाव की ताकत तो रखते ही है.

विपक्ष के आरोप के बाद दांव पर चुनाव आयोग की साख

सत्ता के समीकरणों के साथ ही बिहार का चुनाव भारत के चुनाव आयोग की साख बरकरार है या नहीं इस स्थिति को भी साफ करेगा. ये मतदान राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों का भी टेस्ट होगा. इस मतदान से बिहार की राजनीति में एमवाई के जादुई समीकरण इस बार एकजुट हुआ है कि नहीं इसपर से भी पर्दा उठेगा. कुल मिलाकर कहें तो 6 नवंबर लोकतंत्र के लिए एक ऐसा टेस्ट है जहां जनता के बीच विपक्ष की बात और चुनाव आयोग की साख दोनों पर मतदान होगा.
मतदान के प्रतिशत से साफ होगा की विपक्ष के आरोपों का हुआ क्या असर ?
बिहार के पहले चरण के मतदान से ही ये साफ हो जाएगा की राहुल गांधी और विपक्ष के वोट चोरी के आरोपों का जनता पर क्या असर हुआ है. पोलिंग बूथ पर पहुंचने वाली जनता ये बता देगी की उसे लोकतंत्र खतरे में नज़र आता है कि नहीं. अगर मतदान का प्रतिशत बढ़ता है और पोलिंग बूथ पर भीड़ नज़र आती है तो ये साफ होगा की लोग लोकतंत्र में अपनी ताकत को लेकर कितने सजग और गंभीर है.

Bihar Polls: मतदान में एसआईआर का असर भी दिखेगा साफ

अगर बात करें बिहार में हुए एसआईआर यानी मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण की तो बिहार चुनाव के पहले चरण में देखना दिलचस्प होगा की कितनी मात्रा में वो लोग सामने आते है जिनका वोट कटने के दावे विपक्ष करता रहा है. खास कर अल्पसंख्यक और समाज के कमजोर वर्ग वाले पोलिंग स्टेशन पर पत्रकारों और चुनाव विश्लेषकों की नज़र होगी. ये देखना दिलचस्प होगा की कितने लोग ऐसे सामने आते है जिनका वोट उनकी जानकारी के बिना कट गया है. इसके साथ ही ये भी साफ होगा की विपक्ष ने एसआईआर को लेकर अपने वोट बचाने में कितनी मेहनत की है और वो वोट चोरी के अपने आरोपों को लेकर कितना गंभीर है.

आरजेडी का माई समीकरण क्या इस बार इंडिया को जीत दिला पाएगा

एसआईआर और वोट चोरी को लेकर एक और जो अहम पहलू है वो ये की विपक्ष ने दावा किया था कि इसका असर समाज के निकले तबके खासकर सामाजिक ढांचे में सबसे हाशिये पर रहनी वाली जातियों और अल्पसंख्यकों के वोट पर पड़ेगा. वैसे तो बिहार चुनाव के पहले चरण में अल्पसंख्यक बहूल इलाका सीमांचल वोट नहीं करने जा रहा है लेकिन फिर भी पटना और आसपास की सीटों पर जहां दलित और अल्पसंख्यक वोट ज्यादा है वहां ये देखना दिलचस्प होगा की क्या विपक्ष का वोट चोरी का आरोप उनके मन में बेचैनी पैदा कर पाया है. क्या 2024 के संविधान बदलने के आरोपों की तरह ही ये वोटर में लोकतंत्र बचाने और अपने अधिकार की रक्षा के लिए घर से निकलने को मजबूर कर पाया है.
क्या जिस तरह यूपी में 2024 में लोगों में खासकर अल्पसंख्यकों में वोट डालने को लेकर जो जूनून था वो तेजस्वी के नौकरी के वादे और राहुल गांधी के लोकतंत्र बचाव के आह्वान को लेकर नज़र आएगा.

कुल मिलाकर कहें तो गुरुवार का मतदान कई सवालों के जवाब दे सकता है. वो सिर्फ बिहार की सरकार के लिए नहीं देश की भावी राजनीति और लोकतंत्र की मजबूती को भी तय करेगा. पहले चरण में वोट का प्रतिशत बढ़ता है और लोग वोट डालने निकलते है तो ये साफ हो जाएगा की महा गठबंधन अपनी बात नीचे तक पहुंचाने में सफल रहा है.

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