राहत के बदले आजम छोड़ेगे अखिलेश का साथ…सियासी गलियारे में चर्चा गर्म

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Azam Khan
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Azam Khan :  उत्तर प्रदेश की राजनीतिक में बड़े परिवर्तन के आसार हैं जिसका असर नेता विपक्ष अखिलेश यादव की राजनीति पर पड़ सकता है. सियासी गलियारों में खबरें हैं कि सत्तारुढ़ योगी सरकार जेल में बंद आजम खान के साथ नर्मी दिखाते हुए उन्हें जेल से बाहर आने में मदद कर सकती है. आजम खान अपने और अपने बेटे के खिलाफ दर्ज किये गये कई मामलों के कारण पिछले 16 महीनों से जेल में बंद हैं. खबर है कि इन दिनों सपा नेता आजम खान की उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से नजदीकियां बढ़ रही हैं.

Azam Khan जल्द कर सकते हैं बड़े राजनीतिक ऐलान  

सूत्रों से मिल रही खबरों के मुताबिक आजम खान जल्दी ही कोई बड़ा राजनीतिक ऐलान कर सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि प्रदेश की योगी सरकार आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के प्रति नरम रवैया अपना सकती है. हाल ही में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को सुप्रीम कोर्ट ने सफाई मशीन चोरी मामले में जमानत दी है.

आजम खान और परिवार पर 100 से अधिक मामले दर्ज

उत्तर प्रदेश में 2017 में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार गिरने के बाद आजम खान और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ 100 से अधिक कानूनी मामले दर्ज हैं. रामपुर सदर से 10 बार विधायक रहे समाजवादी नेता आजम खान को 2019 में दिये गये एक भड़काऊ भाषण मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद 2022 में विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

आजम खान के खिलाफ जल्द हटाये जा सकते हैं सारे मामले -सूत्र

सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि आजम खान और उनके परिवार के खिलाफ चल रही कानूनी लड़ाई जल्दी ही खत्म हो सकती है. बीते कुछ समय में आजम खान के परिवार को कई मामलों में राहत मिली है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि आजम खान और राज्य सरकार के बीच संबंधों में सुधार हुआ है, जिसके कारण ही उनके खिलाफ चल रहे कानूनी कार्रवाईयों में उल्लेखनीय कमी आई है. माना जा रहा है कि ये बदलाव दिसंबर 2024 में में तब शुरू हुआ जब आजम खान ने समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष अजय सागर के माध्यम से जेल से एक पत्र भेजा, जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से अखिलेश यादव के साथ इंडिया गठबंधन पर अपनी नाराजगी की बात कही थी. इसके तुरंत बाद, राज्य सरकार ने ऐसे कदम उठाए, जिनसे उसके रुख में नरमी आने का संकेत मिला.

यूपी सरकार ने किया नीति में अचानक बदलाव

दिसंबर 2024 में प्रदेश की योगी सरकार ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और दो आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ गठित जांच समिति को भंग कर दिया, जिनपर एक मामले में आजम खान को बचाने के आरोप थे. ये मामला आजम खान के जौहर यूनिवर्सिटी की शत्रु संपत्ति से जुड़ा था. आरोप लगे थे कि यहां वक्फ की संपत्ति में बदलने के लिए इसकी वास्तविक स्थिति में हेरफेर किया गया था. इस मामले की की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया था. इस जांच समिति को अचानक वापस लेने से सवाल उठने लगे हैं.

भाजपा की राजनीतिक रणनीति

माना जा रहा है कि आजम खान अगर समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव का साथ छोड़कर भाजपा का समर्थन करते हैं को भाजपा को यहां संभावित लाभ दिखाई दे रहा है. अगर आजम खान और भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद जैसे नेता 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव क खिलाफ लड़ते हैं तो इससे विपक्षी वोटों का बंटवारा हो सकता है और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सत्ता बरकरार रखने की संभावना मजबूत हो सकती है.

हालांकि आजम खान के अगले कदम की भविष्यवाणी करना मुश्किल है क्योंकि वो अपनी खास तरह की  राजनीतिक रणनीतियों के लिए जाने जाते हैं . पार्टी से जुड़े लोग कुछ बड़ी राजनीतिक घटना की अटकलें लगा रहे हैं. इस चर्चा ने एक बार फिर से आजम खान को उत्तर प्रदेश की राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बना दिया है.

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