सोमवार को रामपुर की एक विशेष एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट अदालत ने सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान Azam Khan और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को 2019 में दर्ज दोहरे पैन कार्ड मामले में सात साल कैद की सजा सुनाई. साथ ही उनपर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. सजा सुनाए जाने के बाद आज़म खान को हिरासत में ले लिया गया है. हलांकि उनके वकील ने अर्जी लगाई है कि आज़म खान को उनके बेटे के साथ एक ही जेल में रखा जाए जिसपर अदालत का फैसला आना बाकी है.
क्या है दोहरे पैन कार्ड का मामला
यह मामला 2019 में भाजपा नेता आकाश सक्सेना के सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के बाद शुरू हुआ था. शिकायत में कहा गया था कि अब्दुल्ला आज़म खान के पास दो पैन कार्ड थे: एक की जन्मतिथि 1 जनवरी, 1993 और दूसरे की 30 सितंबर, 1990 थी। अभियोजकों ने तर्क दिया कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष पूरी करने के लिए दूसरी जन्मतिथि गढ़ी गई थी.
सुनवाई के बाद, अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषी पाया और जालसाजी और दस्तावेजों के कपटपूर्ण इस्तेमाल से संबंधित धाराओं के तहत सात साल की सजा सुनाई.
अदालती निष्कर्षों के अनुसार, आज़म खान ने अपने बेटे के साथ मिलकर जाली दस्तावेज़ तैयार किए और बैंक रिकॉर्ड में हेराफेरी की. यह सब स्वार विधानसभा सीट से अब्दुल्ला के नामांकन से पहले पुराने पैन कार्ड को नए जाली संस्करण से बदलने के लिए किया गया था, जहाँ से बाद में अब्दुल्ला ने जीत हासिल की.
विशेष न्यायाधीश शोभित बंसल ने दस्तावेजी साक्ष्य, बैंक रिकॉर्ड और आयकर अधिकारियों की गवाही की समीक्षा के बाद यह फैसला सुनाया.
2 महीने के भीतर ही वापस जेल पहुंचे Azam Khan
इस दोषसिद्धि से वरिष्ठ नेता आज़म खान की कानूनी मुश्किलें और बढ़ गई हैं. इसी साल सितंबर में, आज़म खान को उस समय राहत मिली थी जब उन्हें 2014 में अपने आधिकारिक मंत्री पद के लेटरहेड और मुहर का दुरुपयोग करके भाजपा और उसके वैचारिक संरक्षक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के आरोपों से जुड़े एक अलग मामले में बरी कर दिया गया. यह घटना कथित तौर पर उस समय हुई जब वह उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री थे. हालाँकि, लखनऊ की एक अदालत ने सबूतों के अभाव में मामले को खारिज कर दिया. अदालत ने पर्याप्त सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए फैसला सुनाया, “सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद, अदालत का मानना है कि आरोपी आजम खान के खिलाफ आरोप संदेह से परे साबित नहीं हुए हैं. इसलिए, वह बरी किए जाने के हकदार हैं.”
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