रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नालंदा परिसर में बुधवार को मिलेट्स कैफे (Raipur millets Cafe) की शुरूआत की गई. इस कैफे में मोटे अनाज यानी मिलट्स से बने तमाम तरह के व्यंजन को बनाने और परोसने की व्यवस्था की गई है. छत्तीसगढ़ में ये दूसरा बड़ा मिलट्स कैफे (Raipur millets Cafe) हैं. पहला कैफे रायगढ़ में खोला गया था.

सीएम भूपेश बघेल ने की मिलेट्स कैफे शुरुआत
राज्य के विकास को नई दिशा देने में जुटे सीएम भूपेश बधेल रायपुर के मिलिट्स कैफे (Raipur millets Cafe) के उद्घाटन समारोह में पहुंचे. इस मौके पर ये पूछे जाने पर कि राज्य सरकार मिलेट्स और मिलेट्स की खेती करने वाले किसानों के लिए क्या कर रही है, इसके जवाब में सीएम भूपेश बधेल ने कहा कि मिलेट्स उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार लगातार काम कर रही है. राज्य में मोटे अनाज का प्रयोग उन इलाकों में ज्यादा होता है,जहां आदिवासी लोगों की संख्या ज्यादा है. मिलेट्स की खेती ज्यादातर उन जगहों पर होती है जहां पानी की कमी है.
#WATCH | Today a millet cafe has been started in Raipur. Earlier it was started in Raigarh & now it has been started here. Everything here is made of millet. It's a good cafe. State govt is working continuously to promote millets: Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel (19.04) pic.twitter.com/3xT30APYdp
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) April 19, 2023
मिलेट्स उपजाने वाले किसानो के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा
सीएम भूपेश बघेल ने बताया कि सरकार ने राज्य में मिलेट्स के उत्पादन में लगे किसानों की मदद के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा की है. नौ हजार रुपया प्रति एकड़ के हिसाब से राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है . मिलेट्स उपजाने वाले किसानों से खरीद की व्यवस्था की गई है और समर्थन मूल्य के हिसाब से खरीदारी की जा रही है..
मिलेट्स के उपयोग को बढ़ावा देने से खाद्य सुरक्षा अभियान को मिलेगी मदद
आपको बता दें कि भारत इस साल वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज यानी मिलेट्स को लोकप्रिय बनाने के लिए अंतराष्ट्रीय मिशन की अगुवाई कर रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने मोटे अनाज यानी मिलेट्स को श्रीअन्न की उपाधि दी है. देशभर में श्रीअन्न यानी मिलेट्स के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किये जा रहा है. श्रीअन्न को अपने आहार में शामिल करने से दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले हमारे देश में खाद्य सुरक्षा अभियान को मदद मिलेगी. भारत में लगभग हर तरह के मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना जैसे फसल की पैदावार होती है. ये ऐसे अनाज है जिनकी खेती में पानी कम लगता है. पर्यावऱण की दृष्टि से भी मोटे अनाज की पैदावार अच्छी मानी जाती है. माना जाता है कि मोटे अनाज के उत्पादन से भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ती है. यही करण है कि केंद्र सरकार के बाद वो राज्य सरकारें भी मिलेट्स के उपयोग को बढ़ावा दे रही है जहां गरीब किसान रहते हैं.