Amit Shah defamation case:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लोकसभा नेता राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड की एक अदालत में लंबित मानहानि मामले में कार्यवाही पर रोक लगा दी. झारखंड की एक अदालत में 2018 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ राहुल गांधी की कथित “हत्या” वाली टिप्पणी को लेकर मामला दर्ज किया गया था.
शिकायतकर्ता नवीन झा को नोटिस जारी
अदालत ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता नवीन झा को नोटिस जारी कर गांधी की याचिका पर जवाब मांगा है. गांधी ने झारखंड उच्च न्यायालय के फरवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत द्वारा उन्हें जारी समन को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था. कांग्रेस सांसद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि मामला किसी तीसरे पक्ष द्वारा दायर किया गया था, जो मानहानि के अपराध के तहत कानूनी रूप से अस्वीकार्य है. बार एंड बेंच ने सुनवाई के दौरान सिंघवी के सवाल का हवाला देते हुए कहा, “यदि आप पीड़ित व्यक्ति नहीं हैं, तो आप शिकायत दर्ज करने के लिए प्रॉक्सी कैसे प्राप्त कर सकते हैं?”
क्या है Amit Shah defamation case
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले चाईबासा में अपने एक सार्वजनिक भाषण के दौरान, गांधी ने कथित तौर पर शाह को “हत्यारा” कहा था. भाजपा कार्यकर्ता नवीन झा ने शाह के खिलाफ कथित टिप्पणी के लिए 2019 में गांधी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था.
रांची में एक न्यायिक आयुक्त ने मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा झा की शिकायत को खारिज करने के फैसले को पलट दिया और मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वह “रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य” के आधार पर याचिका की समीक्षा करें और मामले में आगे बढ़ने के लिए नए आदेश पारित करें.
नवंबर 2018 में, मजिस्ट्रेट अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि कांग्रेस नेता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 के तहत आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं. गांधी की उपस्थिति के लिए नए समन भी जारी किए गए.
इसके बाद कांग्रेस नेता ने झारखंड उच्च न्यायालय का रुख किया और पेश होने के आदेश को चुनौती दी. एकल पीठ के न्यायाधीश ने गांधी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी “प्रथम दृष्टया अपमानजनक प्रकृति की थी.”
न्यायमूर्ति अंबुज नाथ ने कहा कि गांधी की टिप्पणी से पता चलता है कि भाजपा नेता “झूठे” हैं जो “सत्ता के नशे में चूर” हैं और हत्या के आरोपी नेता को अपनी पार्टी का अध्यक्ष स्वीकार करेंगे. गांधी की याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, “यह आरोप प्रथम दृष्टया अपमानजनक प्रकृति का है.”
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