प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इजरायल-हमास के बीच चल रहे संघर्ष के बीच फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बात की और गाजा के अल-अहली अस्पताल में नागरिकों की मौत पर संवेदना व्यक्त की. यह आश्वासन देते हुए कि भारत फिलिस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता भेजेगा. पीएम मोदी ने एक्स ट्वीट कर बताया कि, “फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति महामहिम से बात की. महमूद अब्बास. गाजा के अल अहली अस्पताल में नागरिकों की मौत पर अपनी संवेदना व्यक्त की. हम फ़िलिस्तीनी लोगों के लिए मानवीय सहायता भेजना जारी रखेंगे. क्षेत्र में आतंकवाद, हिंसा और बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर अपनी गहरी चिंता साझा की. इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत की लंबे समय से चली आ रही सैद्धांतिक स्थिति को दोहराया.”
Spoke to the President of the Palestinian Authority H.E. Mahmoud Abbas. Conveyed my condolences at the loss of civilian lives at the Al Ahli Hospital in Gaza. We will continue to send humanitarian assistance for the Palestinian people. Shared our deep concern at the terrorism,…
— Narendra Modi (@narendramodi) October 19, 2023
इजरायल-हमास युद्ध छिड़ने के बाद पहली बार की फिलिस्तीनी अधिकारियों से बात
आपको बता दें, 7 अक्टूबर को इजरायल में हमास के अचानक हमले और उसके नतीजे में इजरायल-हमास युद्ध छिड़ने के बाद यह पहली बार है जब पीएम मोदी ने फिलिस्तीनी अधिकारियों से बात की.
इससे पहले पीएम मोदी ने इजराइल के प्रति एकजुटता जताई और इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बात की थी. बुधवार को, पीएम मोदी ने गाजा में एक अस्पताल पर हमले में हजारों लोगों के मारे जाने के बाद चल रहे संघर्ष में नागरिक हताहतों पर आश्चर्य और चिंता व्यक्त की थी. इस हमले की किसी ने भी जिम्मेदारी नहीं ली, हालांकि इजरायली रक्षा बलों ने एक विश्लेषण रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह साबित किया कि यह हमला फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के एक असफल रॉकेट का परिणाम था, जिसे इजरायल और अमेरिका ने आतंकवादी करार दिया था.
इजराइल-फिलिस्तीन को लेकर भारत का स्टैंड हमेशा से क्या रहा है?
पीएम मोदी द्वारा यह संदेश पोस्ट करने के बाद कि भारत इजराइल के साथ खड़ा है, इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत की आधिकारिक स्थिति पर बहस शुरू हो गई थी. भारत के इज़राइल के साथ रणनीतिक राजनयिक संबंध हैं. पीएम मोदी इजराइल और फिलिस्तीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. 2017 में, भारत ने पूरे यरूशलेम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के लिए अमेरिका और इजरायल के खिलाफ मतदान किया था.
विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि भारत फिलिस्तीन के एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य राज्य की स्थापना के लिए लंबे समय से समर्थन करता रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “भारत ने हमेशा इजरायल के साथ शांति से सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रहने वाले फिलिस्तीन के एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य राज्य की स्थापना के लिए सीधी बातचीत फिर से शुरू करने की वकालत की है. उन्होंने कहा कि आज भी हम अपनी उसी राय पर कायम है.
हालाँकि, भारत आतंकवाद के ख़िलाफ़ दृढ़ता से खड़ा है और उसने इज़राइल पर हमास के हमले की निंदा की है.
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