लखनऊ : पूरे प्रदेश में मदरसों के सर्वे का काम चला है और रिपोर्ट भी आ चुकी है. तकरीबन 8500 मदरसे ऐसे हैं जो गैर मान्यता प्राप्त हैं.
पूरे सर्वे के दौरान सबसे ज्यादा मदरसे मुरादाबाद में मिले हैं. यहां लगभग साढ़े 500 मदरसे ऐसे हैं जो गैर मान्यता प्राप्त हैं. सिद्धार्थ नगर, बस्ती हर जिलों में कुछ ना कुछ मदरसे हैं. 7 सालों से किन्हीं कारणों से मदरसा बोर्ड से मान्यता नहीं ले पाए हैं. मान्यता पिछली सरकार में ही बंद कर दी गई थी. मदरसों की मान्यता के लिए अब सभी चीजों को ठीक करने के बाद सरकार धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है. आने वाले दिनों में मान्यता देने का काम शुरू होगा.
क्यों पड़ी मदरसों के सर्वे की ज़रूरत
मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष का कहना है कि सभी की निगाहें मदरसों पर थी. मदरसे के बारे में उल्टा पुल्टा आरोप लगते रहते थे. अब जमाना डिजिटल है. अभी हम पोर्टल में दर्ज करेंगे कि कितने मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं और कितने मदरसे मान्यता प्राप्त हैं. इसके साथ ही साथ बाल संरक्षण आयोग का पत्र भी हमें मिला था. वह भी जानना चाहते थे कि जो भी गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं उनमें जो बच्चे पढ़ रहे हैं उनकी स्थिति क्या है.वह क्या पढ़ रहे हैं. किन जगहों पर पढ़ रहे हैं. मदरसे का इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा है. वहां पर बिजली पानी की व्यवस्थाएं कैसी हैं. इन सब चीजों की जानकारी बाल संरक्षण आयोग ने मांगा था इसीलिए सर्वे कराया गया.
सर्वे में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या और उनके पाठ्यक्रम का भी जिक्र
अध्यक्ष ने कहा कि हमारे सर्वे में जो 111 कॉलम बने हुए थे उसमें छात्र छात्राओं की संख्या, शिक्षकों की संख्या, पाठ्यक्रम इन सभी चीजों का उल्लेख था. मदरसे में क्या पढ़ाया जा रहा है. यह सब उन सवालों में शामिल हैं.
अब मदरसा बोर्ड और सरकार का अगला स्टेप क्या होगा
जो डाटा सामने आए हैं, अब हम लोग मीटिंग करेंगे और उनको अपने साथ जोड़ कर किस तरीके से आगे बढ़ाया जाए इस पर विचार करेंगे. हमारी नीयत साफ है और हम चाहते हैं कि बच्चे हमारे बोर्ड से जुड़ें और जो नहीं जुड़े हैं उनकी शिक्षा भी गुणवत्ता पूर्ण हो. बच्चे दीन की चीजें पढ़ने के साथ ही साथ साइंस पढ़ें, सोशल साइंस पढ़ें, मैथ पढ़ें और बच्चे देश का इतिहास भी जानें. बच्चे मुख्य धारा में आकर देश के सच्चे नागरिक बनें.

