JPC on Waqf Bill: गुरुवार को दिल्ली में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक संपन्न हुई. जानकारी के मुताबिक इस बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली. वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की अगली बैठक 30 अगस्त को होगी.
VIDEO | The first meeting of Joint Parliamentary Committee on the Waqf (Amendment) Bill in Delhi concludes. Officials from the minority affairs and law ministries briefed them about the various amendments proposed in the draft law.
The 31-member committee, headed by BJP member… pic.twitter.com/FVFp3m1rva
— Press Trust of India (@PTI_News) August 22, 2024
JPC on Waqf Bill: बैठक में अधिकारियों ने मसौदा कानून में प्रस्तावित संशोधनों की जानकारी दी
गुरुवार की बैठक में अल्पसंख्यक मामलों और कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने उन्हें मसौदा कानून में प्रस्तावित विभिन्न संशोधनों के बारे में जानकारी दी.
बीजेपी सदस्य जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति को लोकसभा द्वारा विवादास्पद विधेयक की जांच करने का काम सौंपा गया है, जिस पर विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने विरोध जताया था.
बैठक में बीजेपी और विपक्षी दलों के सदस्यों में हुई तीखी नोकझोंक
जानकारी के मुताबिक, आज की बैठक में कई बार तीखी नोकझोंक भी हुई, लेकिन विभिन्न दलों के सदस्यों ने कई घंटों तक बैठक की और विधेयक के प्रावधानों पर अपने विचार दर्ज किए, सुझाव दिए और स्पष्टीकरण मांगे.
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, आप के संजय सिंह, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी और डीएमके के ए राजा के साथ कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने कलेक्टर को अधिक अधिकार देने और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के कदम सहित कई खंडों की आवश्यकता पर सवाल उठाए.
सूत्रों ने बताया कि समिति में विपक्ष के कई सदस्यों ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए और आरोप लगाया कि विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं जो “असंवैधानिक” हैं और मुस्लिम समुदाय के “हितों के लिए हानिकारक” हैं.
इसपर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में उसके सहयोगियों ने भी विरोध किया, जिससे तीखी बहस हुई.
सूत्रों ने बताया कि विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि विधेयक धर्म की स्वतंत्रता, समानता की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है. कुछ सांसदों ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधियों की प्रस्तुति पर असंतोष व्यक्त किया. सूत्रों ने बताया कि बैठक में भाजपा के सहयोगियों ने कहा कि मुख्य अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की रक्षा की जानी चाहिए. समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने चर्चा को रचनात्मक परिणाम की ओर ले जाने की मांग की.
बैठक के बाद कुछ सदस्यों ने कहा कि बैठक में उठाए गए प्रश्नों का समाधान करने के लिए मंत्रालय “पर्याप्त रूप से तैयार” नहीं था.
ये भी पढ़ें-Kolkata rape-murder case: सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद एम्स के डॉक्टरों ने 11 दिन की हड़ताल वापस ली