बिहार की राजनीति में आजकल अजब गजब मुद्दे छाए रहते हैं. जब जनता शिक्षा, रोजगार और विकास की बात सुनना चाहती है वैसे वक्त में राजनीतिक पार्टियां धर्म और जाति से आगे बढ़ ही नहीं पा रही हैं. कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं उठाया जा रहा है जिससे आम जनाता का कुछ भला होता हो. साल के शुरूआत में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को राम चरित मानस की चौपाइयों से परेशानी थी. उन्हें इन चौपाइयों में शूद्र और नारी का अपमान नज़र आ रहा था. फिर उठा मुद्दा जाति जनगणना का हलांकि इसका कोई खुलकर विरोध नहीं कर पाया. फिर हुई आनंद मोहन की रिहाई. यहां राजपूत समाज को अपने-अपने पाले में लाने की लड़ाई नज़र आई और अब ब्राह्मण समाज को लेकर विवाद शुरू होने वाला है.
यूरेशिया से आए है ब्राह्मण- यदुवंश यादव
राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव यदुवंश यादव ने शनिवार यानी 29 अप्रैल को एक सभा में विस्फोटक बयान देते हुए कहा कि एक भी ब्राह्मण भारत का नहीं है. ये सारे विदेशी हैं. उन्होंने कहा कि उनका डीएनए टेस्ट हुआ है और उसमें यह बात साबित हुई है. बिहार के पिपरा से विधायक रहे राजद नेता यदुवंश यादव ने कहा कि “इस देश के मूल निवासी हम हैं. ब्राह्मण तो बाहर से आए हैं. ब्राह्मणों के डीएन का टेस्ट हुआ है. उनका डीएनए यूरेशिया मूल का है. रशियन मूल का है. रूस से भागकर ये सब भारत आए हैं.”
आरजेडी-जेडीयू में नूरा कुश्ती जारी
यदुवंश यादव जानते थे कि उनका ये बयान बवाल ज़रूर खड़ा करेगा. और ऐसा हुआ भी लेकिन इस बार यादव का तीर बीजेपी तक पहुंचता उससे पहले ही जेडीयू ने उसे लपक लिया. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने यदुवंश यादव के बयान को घटिया बताया. उन्होंने कहा कि “ऐसे घटिया बयान देने वालों को इस बात की जानकारी नहीं है कि द्वापर में यदुवंश के शिरोमणि हमारे आराध्य भगवान श्री कृष्ण के गुरु संदीपनी मुनि और महर्षि परशुराम थे. दोनों गुरुजन कहां से आए थे? रूस या किसी अन्य देश से ? किस युग में ब्राह्मण नहीं थे चाहे वह त्रेता हो, द्वापर हो, सतयुग हो. अगर नाम लिया जाए तो सुबह से शाम हो जाएगी. ऐसी घटिया बयानबाजी सिर्फ इसलिए होती है ताकि मीडिया की सुर्खियों में बने रह सके. ऐसे लोगों पर पार्टी को अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए. यह लोग गठबंधन की छवि को धूमिल करने का प्रयास करते हैं.”
बीजेपी से पहले जेडीयू लपका यदुवंश यादव का तीर
यानी इससे पहले की बीजेपी इसपर कुछ कहती जेडीयू ने ही आरजेडी से अपने नेता पर कार्रवाई करने की मांग कर दी. वैसे जब जनवरी में रामचरित मानस को लेकर विवाद चल रहा था , तब भी ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला था. आरजेडी विधायक और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ जितनी बीजेपी मुखर थी उतना ही मोर्चा जेडीयू ने भी संभाला था. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने तो ये तक कह दिया था कि चंद्रशेखर पर आरजेडी को फैसला लेना चाहिए. सभी धर्मों का सम्मान करना हमारा और हमारी पार्टी की प्राथमिकता है.
विवादित मुद्दों पर बीजेपी की रणनीति को बिहार में अपना रही आरजेडी-जेडीयू
यानी जो नूरा कुश्ती बीजेपी विवादित मुद्दों को लेकर केंद्र में खेलती है वैसा ही खेल बिहार में जाति के मुद्दों पर आरजेडी और जेडीयू में चल रहा है. केंद्र में मोदी जी के मंत्री और नेता गांधी, आरक्षण, सांप्रदायिकता जैसे मुद्दों को लेकर विवादित बयान देते हैं. इन बयानों पर या तो मोदी जी खामोश रहते हैं या निंदा कर के काम चला लेते हैं. उसी तरह बिहार में आरजेडी खुलकर जाति कार्ड खेलती है. जबकि जेडीयू कड़ी आलोचना और ऐसे बयान देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर काम चला लेती है. यानी विरोध भी दर्ज हो जाता है और गठबंधन भी नहीं टूटता और सरकार भी चलती रहती है. जबकि जनता समझती है कि सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा और फिर अटकलों का बाजार गर्म हो जाता है. लोग नए समीकरणों पर चर्चा करने लगते हैं और विकास,शिक्षा,महंगाई और बेरोजगारी को भूल जाते हैं. जैसे इस बार नाराज़ ब्राह्मण समाज यदुवंश यादव की माफी की मांग को लेकर आंदोलन करने और कोर्ट जाने की बात कर रहा है.
महंगाई-बेरोज़गारी को भूल जनता भी भटकाओ मुद्दों में फंसी
कुल मिलाकर कहें तो बिहार में बीजेपी के हिंदू-मुस्लिम की काट आरजेडी जेडीयू ने जात-पात के मुद्दों में ढूंढ निकाला है. बीजेपी रामनवमी मनाएगी तो आरजेडी दलित बनाम ऊंची जाति का विवाद खड़ा कर देगी. इन दोनों के मुद्दों में गरीब और मध्यम वर्ग न महंगाई को याद रखेगा न बेरोज़गारी को. धर्म और जात का ये खुल्ला खेल फरुखाबादी जनता समझती भी है और जानती भी है लेकिन फिर भी हमेशा इस बहस में शामिल हो जाती है. शायद तभी कहा गया है कि धर्म नशा है.
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