Saturday, July 5, 2025

बेगूसराय में ‘Namaste Bihar’ का आयोजन, 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प

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संवाददाता धनंजय झा, बेगूसराय :  बेगूसराय में आयोजित कार्यक्रम ‘Namaste Bihar’ में बिहार के चर्चित आईपीएस विकास बैभव ने अपने संबोधन की शुरुआत राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को नमन करते हुए एवं गंगा को नमन करते हुए की. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि आज हजारों की तादाद में पूरे बिहार से लोग यहां जमा हुए हैं और अपने आप में यह कार्यक्रम एक अलग महत्व रखता है. क्योंकि ना तो यह राजनीतिक कार्यक्रम है और ना ही यह कोई धार्मिक मंच है. यह ‘Namaste Bihar’ कार्यक्रम है जहां बिहार की बात होगी. इस मंत्र से सिर्फ लोगों को पुराने बिहार की याद दिलाने का काम किया जा रहा है क्योंकि अगर बिहार के इतिहास पर गौर किया जाए तो देखा जाएगा कि जब बिहार के पास संसाधन नहीं थे. संसाधन की कमी थी उस समय बिहार में दर्जनों महापुरुषों ने जन्म लिया जिन्होंने अपनी-अपनी योग्यता से पूरे विश्व में अपना परचम लहराया और यही वजह थी कि बिहार को ज्ञान की भूमि कहा जाता था और विक्रमशिला इसका जीता जागता उदाहरण है.

Namaste Bihar
                           Namaste Bihar

जिस वक्त बिहार में संसाधन नहीं थे उस वक्त हमारी सीमा रेखा अफगानिस्तान तक होती थी लेकिन आज वैसी सोच भी नहीं है और यही वजह है कि एक समय ज्ञान के लिए पूरे विश्व से लोग बिहार आते थे और आज बिहार के लोग विभिन्न जगहों पर शिक्षा ग्रहण करने के लिए जा रहे हैं. उन्होंने खुले मंच से कहा कि एक समय था जब बिहार का नाम आते ही लोगों के मन में सम्मान भर जाता था लेकिन आज वही समय है जब बिहार का नाम कहने में बिहारियों को शर्म आती है. साथ ही साथ प्रदेश से बाहर बिहारी को उचित सम्मान नहीं मिल पाता आखिर इसकी वजह क्या है?

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 Namaste Bihar कार्यक्रम में कहा: बिहार जातिवाद में झुलसता जा रहा है

उन्होंने कहा कि आज और पूर्व के बिहार में इतना अंतर है इसे सरल भाषा में समझा जाए तो पहले भी जातियां होती थी लेकिन जातिवाद नहीं था. यही वजह थी कि आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त की जाति ना देखते हुए उसे सम्राट बनाया लेकिन आज बिहार जातिवाद में झुलसता जा रहा है. उन्होंने सीधे-सीधे कहा कि नमस्ते बिहार कार्यक्रम के माध्यम से आज बिहारी को उनको अपने आप से परिचय कराने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि बिहारी में ऊर्जा एवं अस्मिता की कोई कमी नहीं है.

आज खेतिहर मजदूर से लेकर छात्रों एवं ओहदे पर बैठे लोग जो बिहार के हैं वह काफी ऊर्जावान है और अपने-अपने क्षेत्र में नाम रोशन कर रहे हैं. जब व्यक्ति की सोच और व्यक्ति का विचार महानता को प्राप्त करता है तो व्यक्ति बड़ा हो जाता है. बिहार की सोच जाति संप्रदाय गरीब अमीर से परे सोचने की रही है. और यही इसकी पहचान है. प्राचीन बिहार में महिलाओं की अगर हम बात करें तो उनमें सिद्ध पुरुषों को भी शिक्षा देने की योग्यता थी लेकिन आज महिलाएं क्यों पीछे रह गई यह सोचने की बात है?

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2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य

बिहार में युवाओं की कुल संख्या अभी लगभग 9 करोड़ के आसपास है और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया गया है. जिसमें बिहार के युवाओं की अहम भूमिका रहेगी और इसके लिए युवाओं को सिर्फ संकल्प लेने की जरूरत है. बिहार को बदलने की आवश्यकता है और इसके लिए हमें बड़े सोच की जरूरत है. अब सवाल उठता है कि हमें इसका हल  भी ढूंढना पड़ेगा और इसके लिए 9 करोड़ युवाओं को नौकरी देने के लिए उद्योग का विकास करना होगा जिससे कि आने वाले समय में हम बेरोजगारी को दूर कर सकें.

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