Sunday, May 18, 2025

झारखंड में मातृ मृत्यु अनुपात में कमी, राष्ट्रीय औसत से बेहतर आंकड़े

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रांची: झारखंड की आधी आबादी की सेहत को लेकर अच्छी खबर आई है। राज्य में महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। यहां मातृ मृत्यु अनुपात में पांच अंकों की कमी आई है। यह देश में मातृ मृत्यु अनुपात में हुई कमी से अधिक है। देश में इस अनुपात में चार अंकों का ही सुधार हुआ है। अलबत्ता, शिशुओं के स्वास्थ्य में झारखंड तीन वर्ष पहले जहां खड़ा था, आज भी वहीं खड़ा है।

झारखंड में शिशु मृत्यु दर न तो बढ़ी है और न ही कम हुई है। यह दर तीन वर्ष पहले थी, आज भी वही है। रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया द्वारा सात मई को जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में मातृ मृत्यु अनुपात पहले 56 था जो घटकर अब 51 हो गया है। दूसरी तरफ, पूरे देश में यह अनुपात 97 था, जो घटकर 93 हो गया है।

इसका मतलब यह कि एक लाख शिशुओं के जन्म पर इतनी महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान या प्रसव के 45 दिनों के भीतर हो जाती है। मातृ मृत्यु दर की बात करें तो झारखंड में इस दर में आंशिक कमी आई है, जबकि देश में इस दर में कोई सुधार नहीं हुआ है।

झारखंड में यह दर 4.2 थी जो घटकर अब चार हो गई है। झारखंड में महिलाओं के लाइफ टाइम रिस्क में भी सुधार हुआ है। यह 0.15 प्रतिशत से घटकर अब 0.13 प्रतिशत हो गया है। देश में यह दर 0.21 प्रतिशत से घटकर 0.20 प्रतिशत हुई है।

इधर, झारखंड में तीन वर्ष पहले शिशु मृत्यु दर 25 थी, जो अब भी बरकरार है। इसका मतलब यह कि एक हजार शिशुओं के जन्म पर इतने शिशुओं की मौत एक वर्ष के भीतर हो जाती है। यहां लड़कों में यह दर 24 है, जबकि लड़कियों में 26 है। तीन वर्ष पहले भी यही स्थिति थी। हालांकि पूरे देश में इस दर में सुधार हुआ है। देश में शिशु मृत्यु दर 28 थी जो घटकर अब 27 हो गई है। 

शिशु लड़कों की बढ़ी मृत्यु दर, लड़कियों की घटी
भले ही तीन वर्षों में झारखंड में शिशु मृत्य दर में कोई अंतर नहीं आया है, लेकिन रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया है कि शहरी क्षेत्रों में शिशु लड़कों की मृत्यु दर बढ़ी है। पहले शहरी क्षेत्रों में शिशु लड़कों की मृत्यु दर 19 थी, जो बढ़कर अब 21 हो गई है। राहत की बात यह है कि लड़कियों में यह दर घटी है।

शहरी क्षेत्रों में लड़कियों (एक वर्ष कम आयु) की मृत्यु दर 23 से घटकर 21 हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोई बदलाव नहीं आया है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर 26 है। लड़कों में यह दर 25 तथा लड़कियों में 27 है 

मातृ मृत्यु अनुपात और मातृ मृत्यु दर में क्या है अंतर
मातृ मृत्यु अनुपात और मातृ मृत्यु दर में मुख्य अंतर यह है कि मातृ मृत्यु अनुपात प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु की संख्या को प्रदर्शित करता है, जबकि मातृ मृत्यु दर किसी जनसंख्या में मातृ मृत्यु की संख्या को प्रजनन आयु की महिलाओं की संख्या से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है, जिसे आमतौर पर प्रति एक हजार महिलाओं पर व्यक्त किया जाता है। 

तीन वर्ष बाद जारी हुई एसआरएस की रिपोर्ट
रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया द्वारा तीन वर्ष बाद एसआरएस की रिपोर्ट जारी हुई है। इससे पहले यह रिपोर्ट वर्ष मई 2022 में जारी हुई थी। उस समय वर्ष 2020 को आधार वर्ष मानकर सर्वे कराकर रिपोर्ट जारी की गई थी। इस बार वर्ष 2021 को आधार वर्ष मानकर रिपोर्ट जारी की गई है। 
 

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