Sunday, June 22, 2025

बिहार : दरभंगा एयरपोर्ट बना किसानों की उड़ान का आधार, लीची ने रचा इतिहास

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बिहार की मशहूर मिथिला लीची ने इस साल में 250 टन एक्सपोर्ट का नया रिकॉर्ड बनाया है. पिछले साल की तुलना में 108% की वृद्धि के साथ मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में लीची पहुंचाई गई है. दरभंगा एयरपोर्ट ने इस उपलब्धि में अपनी अहम भूमिका निभाई है. बिहार की मिथिला लीची ने इस साल एक्सपोर्ट के मामले में नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है. इस वर्ष में अब तक 250 टन से अधिक लीची दरभंगा एयरपोर्ट से देश के विभिन्न हिस्सों में भेजी गई है. यह पिछले साल 2024 के 120 टन के मुकाबले 108 प्रतिशत की शानदार वृद्धि है. इस उपलब्धि ने बिहार के किसानों को बड़े बाजारों से जोड़ने में मदद की है. उनकी मेहनत और टेस्टी लीची अब देश के कोने-कोने में पहुंच रही है. मिथिला की यह मीठी और रसीली लीची देश के चार बड़े महानगरों – मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु तक एयरलाइंस की मदद से तेजी से पहुंचाई गई है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया(AAI) और दरभंगा एयरपोर्ट ने इस काम में अपनी अहम भूमिका निभाई. इसके साथ ही एयरपोर्ट की कार्गो सेवा ने भी फ्रेस और क्वालिटी लीची को हवाई मार्ग से इन शहरों तक पहुंचाने में अपनी अहम भूमिका निभाई.

इंडिगो, स्पाइसजेट और अकासा ने दिखाया दम
20 मई को ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) से मंजूरी मिलने के बाद स्पाइसजेट ने लीची एक्सपोर्ट की शुरुआत की. पहली खेप 21 मई को मुंबई के लिए रवाना हुई. इसके बाद 23 मई से इंडिगो और 1 जून से अकासा एयरलाइंस ने भी लीची भेजना शुरू किया. इस सीजन में इंडिगो ने 159.2 टन, स्पाइसजेट ने 47 टन और अकासा ने 44.5 टन लीची को ट्रांसपोर्ट किया. इस तरह कुल 250 टन से अधिक लीची हवाई मार्ग से देशभर में पहुंचाई गई है.

मौसम की चुनौतियों को किया पार
मौसम की मुश्किलों के बावजूद क्षेत्रीय मुख्यालय (RHQ), AAI कार्गो एंड लॉजिस्टिक्स सर्विसेज (AAICLAS) और एयरलाइंस की टीमों ने शानदार तालमेल के साथ काम किया. इस सहयोग ने बिहार की लीची को देश के बड़े बाजारों तक ताजा और समय पर पहुंचाने में मदद की.

बिहार के किसानों के लिए बड़ी उपलब्धि
यह रिकॉर्ड बिहार के लीची किसानों के लिए गर्व की बात है. दरभंगा एयरपोर्ट की कार्गो सेवा ने न केवल किसानों की आय बढ़ाई, बल्कि मिथिला लीची को राष्ट्रीय स्तर पर और लोकप्रिय बनाया. आने वाले वर्षों में भी इस तरह की पहल बिहार की खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी.

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