Bihar Health System : बिहार की स्वास्थ्य सेवाएं 2005 के पहले बदहाल थी. अस्पताल परिसर में जानवरों के बंधे होने या अस्पताल की बेड पर कुत्तों के सोने की तस्वीरें वायरल होती थी, परंतु अब यहां की तस्वीर बदल गई है. सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं ने पिछले दो दशकों में नई इबारत गढ़ी है. साल 2005 के बाद से राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली में बड़े स्तर पर सुधार हुए हैं. उनमें सबसे अहम है नि:शुल्क दवा नीति. इस नीति से बिहार आज देश में सबसे अधिक 611 प्रकार की औषधियां मरीजों को मुफ्त उपलब्ध कराने वाला राज्य बन चुका है. इसमें कैंसर, हार्ट और वायरल बुखार से लेकर अन्य कई बड़ी बीमारियों की दवाइयां शामिल हैं.
Bihar Health System:सरकार ने बनाई नई दवा नीति,बढाया 10 गुणा खर्च
बीते पांच वर्षों में राज्य सरकार ने मुफ्त दवा नीति के तहत दवा आपूर्ति और वितरण पर 10 गुणा तक खर्च बढ़ाया है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह करीब 762 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 2025-26 में यह खर्च 1100 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.
डीवीडीएमएस पोर्टल पर बिहार शीर्ष पर
केंद्र सरकार के डीवीडीएमएस (ड्रग्स एंड वैक्सिन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम) पोर्टल के अनुसार बिहार लगातार 5वें महीने देश में दवा आपूर्ति और वितरण के क्षेत्र में पहले स्थान पर बना हुआ है. यह राज्य सरकार की स्वास्थ्य सुधार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
मुफ्त दवा नीति की शुरुआत और विस्तार
- इस पहल की शुरुआत 1 जुलाई 2006 से हुई, जब कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य में मुफ्त दवा वितरण की नींव रखी गई.
- वर्ष 2006 : सिर्फ 47 प्रकार की औषधियां उपलब्ध थी.
- वर्ष 2008 : ओपीडी मरीजों के लिए 33 प्रकार और आईपीडी मरीजों के लिए 112 प्रकार की दवाइयां सूचीबद्ध.
- वर्ष 2023 : सूची में वृद्धि होकर 611 प्रकार की दवाइयां और 132 प्रकार के डिवाइसेज/कंज्यूमेबल्स शामिल हो चुके हैं.
गरीबों को मिली बड़ी राहत
बिहार सरकार की यह नीति सुनिश्चित करती है कि अस्पताल आने वाले हर मरीज को उसकी जरूरत की दवाइयां उपलब्ध कराई जाएं. इनमें जीवन रक्षक दवाओं से लेकर कैंसर, गठिया, अस्थमा, एलर्जी, रक्त थक्के और एंटी-एलर्जिक समेत कई दवाएं शामिल हैं.
एक वक्त था, जब मरीजों को जरूरी दवाओं के लिए निजी दुकानों पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन अब यह स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. गरीब तबके के लोगों को भारी राहत मिली है.