Wednesday, March 12, 2025

Bihar Politics: 2024 के लिए बीजेपी का मास्टर प्लान, सड़क से विधानसभा तक घमासान

बिहार बीजेपी की तारीफ की जाए की निंदा ये आप तय कर लीजिए लेकिन ये सच है कि विपक्ष की भूमिका में बीजेपी सरकार की नाक में दम करने का कोई मौका नहीं छोड़ती. गुरुवार को पटना में सड़क से विधानसभा तक बीजेपी एक्शन मोड में नज़र आई. जहां सड़क पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं पर लाठीचार्ज हुआ वहीं विधानसभा में उन्हें मार्शलों की मदद से बाहर निकाल दिया गया.

दो विधायकों को मार्शल ने बाहर निकाला

सबसे पहले बात बिहार विधानसभा की करते हैं. मानसून सत्र में बीजेपी जमीन के बदले नौकरी मामले में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे पर अड़ी है. विधानसभा में नारेबाजी, पोस्टर दिखाने के साथ ही बीजेपी ने इस बार कुर्सी उछालने का नया तरीका अपनाया है. सदन में दूसरे और तीसरे दिन कुर्सियां उछाली. कागज फाड़ के फेंके, तीसरे दिन नेता प्रतिपक्ष का माइक भी बंद किया गया. वहीं चौथे दिन बीजेपी के 2 विधायक, कुमार शैलेंद्र और जीवेश मिश्रा को नारेबाजी करने और सदन में हंगामा करने पर स्पीकर ने मार्शल्स से कहकर जबरदस्ती सदन से बाहर निकलवा दिया. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि स्पीकर बीजेपी से सौतेला व्यवहार कर रहे हैं. वह 4-5 विधायक वाली पार्टियों को 78 मजबूत विधायकों वाली पार्टी से ज्यादा बोलने का वक्त दे रहे हैं. इसके बाद बीजेपी ने सदन से वॉक आउट किया और विधानसभा के बाहर धरने पर बैठ गई.

विधानसभा प्रदर्शन में गई एक बीजेपी नेता की जान

वहीं दूसरी तरफ सड़क पर भी बीजेपी का घमासान देखने को मिला. दोपहर 12 बजे के करीब पटना के गांधी मैदान से विधानसभा मार्च शुरु हुआ. पुलिस ने डाकबंगला चौराहे पर मार्च को रोक दिया. जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने लाठी के साथ-साथ वाटर कैनन का सहारा लिया. क्या नेता क्या कार्यकर्ता सभी को दौड़ा लिया. हद तो ये हो गई कि वाई कैटेगरी सुरक्षा वाले बीजेपी के सांसद जनार्दन सिंह सिगरिवाल भी पिट गए. पुलिस ने भी आरोप लगाया कि बीजेपी वाले हंगामा करने के मकसद से आए थे. पुलिस वालों ने दिखाया कि उनके उपर मिर्ची फेंकी गई. इस अफरातफरी में सबसे दुखद बात ये हुई कि जहानाबाद बीजेपी के जिला महामंत्री विजय कुमार सिंह की मौत हो गई

बीजेपी के लिए बिहार में अस्तित्व की लड़ाई

वैसे आप सोच रहे होंगे महंगाई, बेरोज़गारी पर चुप रहने वाली बीजेपी अचानक इतने आक्रामक मोड में कैसे आ गई. दरअसल बीजेपी के लिए अगले 2 साल बिहार की राजनीति में अस्तित्व बचाने के साल हैं. अगर 2024 गड़बड़ाया तो सम्राट चौधरी की कुर्सी तो जाएगी ही साथ ही केंद्र में सरकार अगर नहीं बनी तो 2025 में बिहार में बीजेपी का तंबू गड़ने से पहले ही उखड़ जाएगा. इतना ही नहीं बीजेपी से गठबंधन तोड़ आरजेडी के साथ हाथ मिलाने पर नीतीश कुमार को सबक सिखाने की अमित शाह ने जो धमकी दी है वो भी अधूरी रह जाएगी. इसलिए बीजेपी के लिए तो ये करो या मरो की स्थिति है. रही बात नीतीश कुमार की तो अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों पर लाठी चलवाना उनका पुराना तरीका है. उनकी पुलिस शिक्षकों से लेकर बेरोज़गारों तक नर्स से लेकर डॉक्टरों तक किसी को नहीं छोड़ती. जो भी प्रदर्शन करता है चाहे मांग जायज ही क्यों ना हो. नीतीश कुमार की पुलिस बिना भेदभाव के पूरी ताकत से लाठी चलाती है. और आज तो उसने साबित भी कर दिया कि कानून की नज़र में माननीय हो या आम जनता सब एक बराबर है.

नीतीश कुमार का डंडा सबपर बराबर चलता है

रही बात विधानसभा की तो याद कीजिए 23 मार्च 2021 का दिन आरजेडी समेत बाकी विपक्षी पार्टियां बिहार सशस्‍त्र पुलिस विधेयक 2021 का विरोध कर रही थी. विधानसभा में हंगामा मचा हुआ था. कई बार सदन को स्थगित किया गया. विधायकों ने सदन की कार्यवाही रोकने के लिए स्‍पीकर को उनके चैंबर में ही बंधक बना लिया. उसके बाद पटना डीएम और एसएसपी सहित भारी संख्‍या में पुलिस फोर्स बुलाई गई और फिर क्या महिला और क्या पुरुष, पुलिस ने विधायकों को खूब पीटा. कई राजद नेताओं को मुक्‍का मारा और सदन से बाहर फेंक दिया. महिला विधायक के साथ भी कोई रियायत नहीं बरती गई. तब नेता प्रतिपक्ष रहे तेजस्वी यादव की भी पुलिस से हाथापाई की तस्वीरें सामने आई थी. यानी नीतीश कुमार विपक्ष के साथ सख्ती बरतने में कोई परहेज नहीं करते फिर चाहे मामला बीजेपी का हो या आरजेडी का. वैसे ऐसा नहीं है कि लाठीचार्ज के बाद बीजेपी खामोश बैठ जाएगी. 2024 विधानसभा चुनावों तक बीजेपी का ये अंदाज़ बार-बार लगातार देखने को मिलेगा जिसका इरादा सम्राट चौधरी ने अपने ट्वीट से भी जाहिर कर दिया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि “नीतीश बाबू कान खोलकर सुन लीजिए सम्राट न पहले कभी डरा था और ना ही कभी डरेगा”
पक्ष-विपक्ष दोनों के लिए ये परीक्षा का समय है. अगर अब फेल हो गए तो दोबारा मौका शायद ही मिले. इसलिए सड़क से संसद तक घमासान अब आए दिन देखने को मिलेगा. ये बात और है कि इस घमासान से जनता का कुछ भला होने वाला नहीं है.

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