Friday, November 8, 2024

Bihar Crime Control Act 2024: जानिए नीतीश सरकार के इस कानून से कैसे अदालतों से भी ऊपर हो जाएंगे डीएम और पुलिस

बिहार में सरकार चाहे कोई भी हो कानून-व्यवस्था को लेकर वह हमेशा निशाने पर रहती है. लेकिन अब बिहार सरकार पुलिस के हाथ में ऐसी ताकत देने जा रही है जिससे उसका दावा है कि अपराधियों पर काबू पाया जा सकेगा. हलांकि विपक्ष इसे विरोध की आवाज़ों को दबाने के लिए लाए जाने वाला कानून बता रहा है. गुरुवार को बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 Bihar Crime Control Act 2024 विधानसभा में पेश करने के साथ ही पास बी करा लिया गया.

क्या है बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024

बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 जिसे बिहार सरकार ने बजट सत्र में पेश किया उसके बारे में विपक्ष का कहना है कि इसमें न अपील न दलील सीधे सजा देने के प्रावधान रखे गए है. तो चलिए जानते हैं क्या है इस कानून के प्रमुख प्रावधान

किसी भी व्यक्ति को 2 साल के लिए तड़ीपार कर सकते है डीएम

बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 के तहत सरकार जिलाधिकारी यानी डीएम को ये अधिकार देने जा रही है कि वह किसी भी शख्स को जो उसे असमाजिक लगे तड़ीपार कर सकते हैं. कानून के मुताबिक सिर्फ डीएम को ये लगना भर काफी है कि व्यक्ति असमाजिक है और उससे लोगों में भय है या संपत्ति को हानि पहुंच सकती है, डीएम ऐसे व्यक्ति यो तो 2 साल के लिए तड़ीपार कर सकते है इसके लिए सिर्फ डीएम को उस शख्स से पहले स्पष्टीकरण मांगना होगा और फिर सीधे कार्रवाई.

डीएम के पास होगी अदालत के जैसा शक्ति

अगर ये विधेयक कानून बनता है तो डीएम न सिर्फ किसी को तड़ीपार करने का आदेश दे सकता है बल्कि उसके आदेश पर बिना किसी वारंट के पुलिस किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है. कानून के मुताबिक डीएम किसी को भी 6 महीने से लेकर 2 साल तक के लिए तड़ीपार कर सकता है. जिस को डीएम तड़ीपार करेगा उसके पास अपना पक्ष पेश करने के लिए सिर्फ 15 दिन का समय होगा. इन 15 दिनों में वो आयुक्त के पास अपील कर सकता है.
इतना ही नहीं जिलाधिकारी का अदेश नहीं मानने की सूरत में जिला अधिकारी अदालत की तरह उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेज सकता है. जिलाधिकारी के आदेश पर पुलिस ऐसे व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है.

कौन और कैसे तय होगा कि असामाजिक तत्व कौन है?

तो अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि डीएम ये कैसे तय करेगा की कौन असामाजिक तत्व है. तो कानून में जो असामाजिक शब्द की परिभाषा कुछ इस तरह दी गई है.
1. कानून के मुताबिक असामाजिक तत्व वो होगा जो या तो खुद अपराध करें , अपराध करने की कोशिश करें या फिर किसी को अपराध करने के लिए भड़काए.
2. महिलाओं और बच्चों का व्यापार करने वाला या उसे करने की प्रेरणा देने वाला. अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के अधीन आने वाले सभी मामलों को इस कानून में जोड़ा गया है

3. इसी तरह यौन अपराध जिसमें महिलाओं और बच्चों दोनों के साथ होने वाले अपराधों को रखा गया है. ऐसे अपराध करने वाला या उसकी प्रेरणा देने वाला असामाजिक माना जाएगा.

4. वो शख्स जो धर्म, मूलवंश, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर नफरत या दुश्मनी फैलाता है या फैलाने की कोशिश करता है.

5. इसमें शोहदों को असामाजिक माना गया है यानी महिलाओं और लड़कियों पर आदतन अश्लील फब्तियों कसना या छेड़ने वाले शख्स को असामाजिक माना जाएगा.
6. या फिर ऐसे बदमाश जिन्हें बिहार पुलिस ने “गुण्डा” घोषित किया हो.

7. व्यक्ति या सिंडिकेट जो हथियार जिसमें गोला बारूद भी शामिल है उसे बनाने, बेचने या फिर उसकी मरम्मत या किसी दूसरी तरह से उसके व्यापार में शामिल हो उसे असामाजिक माना जाएगा. यहां ये बी साफ किया गया है कि सिडिकेंट का मतलब दो या दो से ज्यादा लोग होगा.

8. इस कानून में बालू के अवैध कारोबार में शामिल लोगों को बी असामाजिक माना गया है.

9. इसी तरह शराब बनाने, बेचने, ट्रांसपोर्ट करने या फिर उसका सेवन करने वालों सभी को असामाजिक माना जाएगा.

10. साइबर क्राइम में शामिल लोगों को भी असामाजिक की श्रेणी में रखा गया है.
11. जमीन पर अवैध कब्जा, कब्जा जमीन को बेचने-खरीदने में शामिल होने वालों पर भी ये कानून लागू होगा.

इन ग्यारह श्रेणियों में आने वाले सभी लोगों को असामाजिक तत्व माने जायेंगा.

किसे डीएम और सरकार भेजा सकते हैं जेल

इसी तरह बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 के तहत किसी भी असामाजिक घोषित किए गए शख्स को जेल भेजा जा सकेगा. इस कानून के तहत सरकार असामाजिक घोषित किसी भी शख्स को जेल में रखने का फैसला ले सकती है. सरकार पहले 6 महीने के लिए और फिर अगर उसे लगे की उस शख्स से बाहर आने से समाज और संपत्ति को खतरा है तो फिर 6 महीने के लिए यानी कुल एक साल के लिए उसे बिना किसी अदालती कार्रवाई के जेल में रख सकती है.
इसके अलावा अगर असामाजिक घोषित व्यक्ति सरकार का आदेश नहीं मानता तो उसे जेल भेजने के साथ ही सरकार के पास उससे जुर्माना वसूलने का भी अधिकार होगा.

विधेयक में अपील के लिए सलाहकार बोर्ड बनाने का रखा गया है प्रवाधान

बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 में सरकार के फैसले के खिलाफ अपील का एक रास्ता भी दिया गया है. इशके लिए सरकार 3 लोगों का एक बोर्ड बनाएगी जिसमें हाईकोर्ट की जज जैसी योग्यता वाले तीन लोगों को रखा जायेगा. ये बोर्ड सरकार को सलाह देगा की व्यक्ति दोषी है या नहीं.

पुलिस को पास होगा किसी की भी जांच का अधिकार

वहीं बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 में पुलिस को भी बड़ी ताकत दी गई है. इसमें पुलिस के इंस्पेक्टर या उससे ऊपर वाले किसी भी अधिकारी को बिना वारंट किसी भी स्थान, वाहन या जानवर को रोकने और उसकी तलाशी लेने का अधिकार होगा. इतना ही नहीं जांच के दौरान अगर पुलिस को किसी वस्तु पर शक होगा तो उसे जब्त करने का अधिकार भी उसे दिया गया है.

किसी कोर्ट में नहीं होगी सुनवाई

इस कानून का सबसे खतरनाक पहलू ये है कि डीएम और सरकार ने जिसे असामाजिक घोषित कर दिया उसकी किसी कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी. जिला और हाईकोर्ट तो छोड़े सुप्रीम कोर्ट भी उसकी अपील नहीं सुनेगा. इतना ही नहीं किसी को असामाजिक घोषित कर दंड देने के मामले में न डीएम और अधिकारी पर मुकदमा हो सकेगा न ही आरोपी को होने वाले किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी सरकार या अधिकारी पर होगी.

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