क्या वजह है कि विपक्षी एकता पर लगातार वार करने वाली बीजेपी सबसे ज्यादा बिहार के सीएम नीतीश कुमार को लेकर हमलावर है. क्यों बीजेपी विपक्षी एकता का सवाल आते ही सबसे ज्यादा मज़ाक नीतीश कुमार का उड़ाने लगती है. बेंगलुरु में 26 विपक्षी पार्टियों के नेता जमा हुए लेकिन अगर किसी के खिलाफ पोस्टर लगा तो वो थे नीतीश कुमार. नीतीश कुमार बीजेपी का असली चाल, चरित्र और चेहरा पहचानते हैं क्या इसलिए बीजेपी को नीतीश कुमार से डर लग रहा है.
”अस्थिर पीएम दावेदार” कौन कर रहा है नीतीश को बदनाम?
बिहार बीजेपी ने मंगलवार को कांग्रेस पर बेंगलुरु में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बदनाम करने वाले पोस्टर लगाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि यह बीजेपी है जो ”पोस्टरबाजी” में लगी रहती है. कांग्रेस का कहना था कि पिछले लोकसभा चुनाव में कम वोट शेयर के बावजूद प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली बीजेपी अब ”हताशा” में है. उसे विपक्षी एकता, यानी इंडिया से डर लगने लगा है. वो पोस्टर के जरिए महागठबंधन में फूट डालने की कोशिश कर रही है. असल में 18 जुलाई को विपक्षी एकता की बैठक के दिन बेंगलुरु में कुछ पोस्टर लगे जिसपर नीतीश कुमार की फोटो लगी थी और लिखा था ”अस्थिर पीएम दावेदार” (”unstable PM contender”) . इसके साथ ही हाल में बिहार में पुल ढहने की घटना से उन्हें सीधे तौर पर जोड़ कर उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया था. ये पोस्टर ठीक वहीं लगाए गए थे जहां विपक्षी दलों की बैठक होनी थी.
कांग्रेस के लिए आंख की किरकिरी बन गए हैं नीतीश कुमार-सम्राट चौधरी
घटना के एक दिन बाद बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि ”यह कांग्रेस की करतूत लगती है, जो कर्नाटक पर शासन करती है. चौधरी ने कहा कि दरअसल नीतीश कुमार की ‘प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा’ कांग्रेस के लिए आंख की किरकिरी बन गई है जो असल में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे करना चाहती है.
गठबंधन में दरार पैदा करना चाहती है बीजेपी-कांग्रेस
हालांकि सम्राट चौधरी के इन आरोपों को वरिष्ठ कांग्रेस नेता और एआईसीसी मीडिया पैनलिस्ट प्रेम शंकर झा चौधरी ने खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ”यह भाजपा है जो अपने विरोधियों को बदनाम करने और अपने विरोधी गठबंधनों में दरार पैदा करने के लिए पोस्टरबाजी करती है” कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ”जिस तरह से एकजुट विपक्ष आकार ले रहा है, उससे बीजेपी हताशा की स्थिति में है. उनका कहना था कि ”बीजेपी ने 2019 में 38 प्रतिशत वोट हासिल करके बहुमत हासिल किया था. इसका कारण यह था कि शेष 62 प्रतिशत बिखरा हुआ था. मिश्रा ने दावा किया कि ”बीजेपी का विरोध करने वाली अधिक से अधिक पार्टियों के एक साथ आने और भगवा पार्टी के खराब शासन ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, उसे अगला लोकसभा चुनाव एक कठिन काम लगने लगा है” खास बात ये है कि नीतीश कुमार के खिलाफ जो पोस्टर लगाए गए उनकी किसी भी व्यक्ति या संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली.
सिर्फ नीतीश के पीछे क्यों पड़ी है बीजेपी
अब सवाल ये उठता है कि अगर पोस्टर बीजेपी ने लगाए तो आखिर बीजेपी ममता और महबूबा जैसी अपने पुराने साथियों को छोड़ कर सिर्फ नीतीश कुमार पर ही हमलावर क्यों है. क्या इसकी वजह पिछले साल अगस्त में मिली शिकस्त है. जिसमें नीतीश ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को कहा कि सब ठीक है और इधर आरजेडी से हाथ मिला लिया. क्या इस धोखे को बीजेपी अपनी हार से ज्यादा नीतीश की जीत के तौर पर देखती है इसलिए उसे सबसे ज्यादा डर नीतीश कुमार से लगता है.
बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा पहचानते है नीतीश कुमार
दरअसल लंबे समय तक बीजेपी के साथ रहे नीतीश ने अटल काल से लेकर मोदी के राज तक सबको पास से देखा और जाना है. वो बीजेपी के अंदर के असंतोष को भी समझते हैं और असंतुष्ट नेताओं को भी जानते हैं. उन्हें बीजेपी के हर दांव हर वार का अंदाज़ा है. शायद यही वजह है कि बीजेपी नीतीश कुमार को लेकर हमलावर है. खासकर तब जब खुद नीतीश और उनकी पार्टी कह चुकी है कि नीतीश की पीएम बनने की कोई महत्वांक्षा नहीं है. वो सिर्फ बीजेपी को हराने के लिए ज़ोर लगा रहे हैं. प्रधानमंत्री पद से उनका कोई मोह नहीं है. कांग्रेस भी लगभग ये साफ कर चुकी है कि राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं. तो फिर बीजेपी कांग्रेस और जेडीयू को लड़ाने पर क्यों तुली हुई है.
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