Monday, November 17, 2025

IT Raid on BBC: बीबीसी दफ्तर पर छापे; क्या सिर्फ ध्यान भटकाने की है कोशिश?

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14 फरवरी को इनकम टैक्स यानी आयकर विभाग ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के दिल्ली ऑफिस पर छापा मारा. बीबीसी का दिल्ली ऑफिस कस्तूरबा गांधी मार्ग पर है. यहां आईटी की टीम ने पहुंचते ही कर्मचारियों के फोन जब्त कर लिए. बाद में कर्मचारियों को दफ्तर छोड़कर जल्दी घर जाने को कहा गया. जो लोग दिल्ली कार्यालय में दोपहर की शिफ्ट में हैं, उन्हें घर से काम करने के लिए कहा गया है. सूत्रों के मुताबिक, छापे के दौरान बीबीसी उर्दू सेवाओं से जुड़े दो लोग और अकाउंट डिपार्टमेंट के अधिकारी कार्यालय परिसर के अंदर थे.
इसी तरह इनकम टैक्स विभाग की दिल्ली की टीम मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) इलाके में बीबीसी परिसर की भी निगरानी कर रही है. बीबीसी का एक ऑफिस मुंबई के खार में भी है, जहां कर्मचारियों को घर जाने के लिए कह दिया गया. बताया जा रहा है कि आयकर विभाग अंतर्राष्ट्रीय टैक्सेशन में गड़बड़ियों और ट्रांसफर प्राइसिंग में अनियमितताओं की जांच कर रहा है. इसी सिलसिले में बीबीसी परिसरों में तलाशी ली गई.

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क्यों अहम है बीबीसी दफ्तर पर आयकर विभाग की कार्रवाई

बीबीसी दफ्तर पर इनकम टैक्स का ये सर्वे या छापे की कार्रवाई इसलिए अहम है कि हाल ही में बीबीसी अपनी डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को लेकर काफी विवादों में रही है. सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को इंडिया में बैन कर दिया था जिसको लेकर अभी भी मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इस डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के बाद समाचार संस्थान बीबीसी को ही भारत में बैन करने की मांग करते हुए भी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
माना जा रहा है कि इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर सरकार काफी नाराज़ है. इसीलिए इनकम टैक्स की टीम के बीबीसी दफ्तर पहुंचने को भी उसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा है क्योंकि मोदी सरकार पर अकसर अपने विरोधियों को आईटी, ईडी और सीबीआई के ज़रिए सबक सिखाने के आरोप लगते रहे हैं.

अडानी मामले से क्या ध्यान भटकाना चाहती है बीजेपी

लेकिन क्या मामला सिर्फ इतना ही है. क्यों अचानक बीबीसी में इनकम टैक्स का छापा पड़ गया जबकि मामला कोर्ट में पेंडिंग है. दरअसल इस वक्त संसद का सत्र चल रहा है. विपक्ष अडानी मुद्दे पर जेपीसी बनाने की मांग को लेकर अड़ा हुआ है. कांग्रेस इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री पर हमला कर रही है. इस बार आरोप नफरत फैलाने का नहीं बल्कि भ्रष्टाचार का है. विपक्ष का आरोप है कि भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार खुद को बचाने के लिए, अडानी-मोदी रिश्तों पर पर्दा डालने के लिए, अडानी की कंपनियों पर आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट को छुपाने के लिए, कानून को ताक पर रख अडानी को एक के बाद एक बेची गई देश की संपत्ति से जुड़े आरोपों को संसद के रिकॉर्ड से हटाने में लगी हुई है. जानकारों का कहना है कि ऐसे में बीबीसी दफ्तर पर इनकम टैक्स रेड दरअसल अडानी मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश है.

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री से नहीं हिंडनबर्ग रिपोर्ट है असली परेशानी

वैसे भी जब बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ आई थी तो जानकारों की राय थी कि इस डॉक्यूमेंट्री से मोदी सरकार को कोई नुकसान नहीं होगा. हाल के गुजरात चुनावों में दंगों के आरोपियों को टिकट देने और बिलकिस बानो के दोषियों को छोड़े जाने के मामलों के बाद जिस तरह बीजेपी को चुनावी फायदा मिला, उससे ये साफ हो गया कि गुजरात दंगों की हकीकत सिर्फ बीजेपी के हिंदू वोट बैंक को और मजबूत करती है. बात अगर पीएम मोदी की अंतर्राष्ट्रीय छवि की करें तो मंदी के दौर से गुज़र रहे विश्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक हालात को सुधारने की है और कोई भी इस वक्त भारत जैसे बड़े बाज़ार को खोना नहीं चाहेगा. ऐसे में बीबीसी दफ्तर पर छापे की ख़बर साफ तौर पर अडानी जैसे बड़े मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश हो सकता है.

क्या बीबीसी छापों से बदल जाएगा संसद में मुद्दा

शायद विपक्ष और खासकर कांग्रेस भी इस बात को समझ गई है इसलिए बीबीसी दफ्तर पर छापे की खबर पर उसने एक वीडियो ट्वीट कर प्रतिक्रिया तो दी लेकिन इसे अपनी प्रेस कांन्फ्रेंस का मुद्दा नहीं बनाया जो छापों की खबर आने के फौरन बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी दफ्तर से की. जयराम रमेश ने मीडिया के दूसरे सभी सवालों के जवाब देने से मना कर दिया और कहा कि वो सिर्फ अडानी मामले और जेपीसी की मांग पर ही बात करेंगे.
कुल मिलाकर कहें तो कांग्रेस जानती है कि गुजरात दंगों और नफरत की राजनीति से बीजेपी को सिर्फ फायदा ही होता है. इसलिए इस बार वो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही सरकार को घेरना चाहती है. और उसने इसके लिए सभी समान विचारधारा वाले दलों को भी जोड़ लिया है. संसद में तकरीबन हर दिन संसद की बैठक से पहले विपक्ष की बैठक होती है जिसमें सरकार को कैसे घेरा जाए इसकी रणनीति बनाई जाती है. ऐसे में लगता नहीं है कि बीबीसी पर छापों का मामला संसद में विपक्ष के रुख को बदल पाएगा.

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