मंगलवार 7 मई को शराब नीति घोटाले में जेल में बंद अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत Arvind Kejriwal Interim Bail पर सुप्रीम कोर्ट सुनाए बिना सुप्रीम कोर्ट की बेंच उठ गई. अब इस मामले में अगली सुनवाई 9 मई को होगी. इस बीच वहीं दिल्ली की एक अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी है.
आज सुबह कोर्ट अरविंद केजरीवाल की याचिका पर ये फैसला करने बैठा था कि लोकसभा चुनाव के चलते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जाए या नहीं. इसने पहले 3 मई को कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू जो इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हो रहे है उन्हें इस पहलू पर तैयार रहने को कहा था.
मैं वचन दे सकता हूं कि वो (केजरीवाल) किसी फाइल पर साइन नहीं करेंगे
सुप्रीम कोर्ट की शर्त पर आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मैं वचन दे सकता हूं कि वो (केजरीवाल) किसी फाइल पर साइन नहीं करेंगे.
सिंघवी की दलील पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल बिना विभाग के सीएम हैं और इनके साइन करने का मतलब नहीं. इसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल हर रोज दस फाइल पर साइन करते हैं.
Arvind Kejriwal Interim Bail, बेल मिलने पर उत्पाद शुल्क नीति घोटाले की फाइलों का निपटारा नहीं करेंगे-कोर्ट
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से कहा था, हम नहीं चाहते कि अगर आपको अंतरिम जमानत दी गई तो आप आधिकारिक कर्तव्य निभाएं. सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर उन्हें अंतरिम जमानत मिल जाती है तो वह उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित किसी भी फाइल का निपटारा नहीं करेंगे.
कोर्ट में केजरीवाल की जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने कहा, अगर अरविंद केजरीवाल जांच में सहयोग करते, नौ समन से बचते रहे तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया होता.
इसपर कोर्ट ने कहा कि उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की जरूरत है. कोर्ट ने ईडी से जांच में देरी पर ईडी से सवाल किया, कोर्ट ने पूछा कि दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में आरोपी गवाहों से सीधे प्रासंगिक सवाल क्यों नहीं पूछे गए.
ईडी ने इसके जवाब में कोर्ट से कहा, 2022 के गोवा चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल 7-सितारा होटल में रुके थे, यह बिल दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा भुगतान किया गया हिस्सा था.
कोर्ट कथित दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केंद्रीय एजेंसी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
केजरीवाल “दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री” हैं और वह आदतन अपराधी नहीं हैं-कोर्ट
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने आज इस बात पर जोर दिया कि केजरीवाल “दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री” हैं और वह आदतन अपराधी नहीं हैं. न्यायाधीशों ने आगे कहा कि स्थिति “असाधारण” है क्योंकि आम चुनाव पांच साल में एक बार होते हैं.
इसके साथ ही न्यायमूर्ति खन्ना ने कार्यवाही के दौरान कहा कि “अंतरिम जमानत देते समय, हम जांच करते हैं कि क्या कोई दुरुपयोग होगा या क्या व्यक्ति एक कठोर अपराधी है. यहां ऐसा मामला नहीं है”,
अंतरिम राहत देने से आम आदमी को “गलत संदेश” जाएगा- सॉलिसिटर जनरल
हालाँकि, कोर्ट की टिप्पणी पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि AAP सुप्रीमो को कोई अंतरिम राहत देने से आम आदमी को “गलत संदेश” जाएगा. उन्होंने पूछा कि क्या न्यायालय केवल राजनेताओं के लिए अपवाद बना रहा है.
SC ने जांच में देरी पर ED से पूछा सवाल, केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले की केस फाइलें मांगीं
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया की गिरफ्तारी से पहले और बाद की दिल्ली आबकारी नीति घोटाले की केस फाइलें पेश करने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले प्रवर्तन निदेशालय से दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाला मामले की फाइलें भी मांगीं.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाला मामले की जांच में लगने वाले समय पर ईडी से सवाल किया, कहा कि किसी चीज का खुलासा करने में 2 साल लग गए.
ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि, दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाला मामले में शुरू में जांच का फोकस अरविंद केजरीवाल पर नहीं था, बाद में उनकी भूमिका स्पष्ट हो गई.
ये भी पढ़ें-Lalu Yadav: अमित शाह के जंगलराज वाले बयान पर बोले-वह इतना डर गए हैं कि वह सभी को भड़का रहे हैं