अमेरिका के 42 और 30 दिन के फॉर्मूले ने दुनिया के देशों की टेंशन बढ़ा दी है. दरअसल, अमेरिका ने अपने हित को साधने के लिए इजराइल और हमास के बीच 42 दिनों का अस्थाई सीजफायर करवाया था. जैसे ही अमेरिका का काम बन गया, उसने सीजफायर से खुद को बाहर कर लिया. सीजफायर से अमेरिका बाहर निकलते ही इजराइल ने गाजा पर मजबूती से हमला बोल दिया.
गाजा पर इजराइल के हमले के बाद रूस और यूक्रेन के बीच भी इस बात की आशंका बढ़ गई है. रूस और यूक्रेन के बीच 30 दिन का अस्थाई सीजफायर हुआ है.
इजराइल के लिए अमेरिका की लॉबी
हमास से जंग में इजराइल के हजारों लोग बंधक बनकर हमास के कब्जे में थे. इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद को भी इसकी भनक नहीं मिल पा रही थी, जिसके बाद अमेरिका ने शांति वार्ता के जरिए इन बंदियों को वापस कराने की रणनीति तैयार की.
हमास ने शांति का प्रस्ताव स्वीकार लिया. दोनों तरफ से बंदियों की अदला-बदली भी हुई, लेकिन जैसे ही इजराइल का काम हो गया, उसने गाजा पर फिर से हमला शुरू कर दिया. इजराइल ने हमास के प्रमुख कमांडर को भी मार गिराया है.
कहा जा रहा है कि बंधकों के छोड़ने के वक्त ही इजराइल ने खुफिया ठिकानों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर ली. जैसे ही युद्ध विराम खत्म हुआ, इजराइली सेना ने उन ठिकानों पर हमला शुरू कर दिया.
फॉक्स न्यूज के मुताबिक गाजा पर दोबारा हमला करने से पहले इजराइल ने अमेरिका से परमिशन मांगी थी. इजराइल को अमेरिका से ही एक हफ्ते पहले हथियार भी सप्लाई हुआ था. कहा जा रहा है कि इस हमले में दोनों की ही मिलीभगत है.
पुतिन के जरिए रूस में घुसने की कोशिश
अमेरिका ने रूस और यूक्रेन के बीच भी अस्थाई सीजफायर करा दिया है, लेकिन यूक्रेन के जेलेंस्की इससे खुश नहीं दिख रहे हैं. जेलेंस्की का कहना है कि अस्थाई के बदले हम स्थाई युद्ध विराम चाहते हैं.
अस्थाई युद्ध विराम के तहत यूक्रेन को एक महीने में न तो हथियार बाहर से मिलेगा और न ही यूक्रेन की सेना अपने कुनबे का विस्तार कर सकती है. इसके अलावा यूक्रेन की सेना नई खुफिया जानकारी के बूते मॉस्को तक पहुंच गई थी, लेकिन अब हमला नहीं कर पाएगी.
इसी बीच शांति समझौता कराने वाले अमेरिका को रूस के बाजार में फिर से एंट्री मिल गई है. एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भी रूस के बाजारों में दस्तक देने की तैयारी में है. 30 अमेरिकी कंपनियों को फिर से वापस आने की हरी झंडी भी मिल गई है.
वहीं कहा जा रहा है कि 30 दिन में अगर दोनों के बीच मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बनती है तो फिर से युद्ध की शुरुआत हो सकती है.