Manipur violence: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को पूर्वोत्तर राज्य में चल रही उथल-पुथल के लिए कांग्रेस के “पिछले पापों” को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें बर्मी शरणार्थियों को बार-बार बसाना भी शामिल है.
उनका यह बयान कांग्रेस नेता जयराम रमेश के उस सवाल के बाद आया है जिसमें उन्होंने पूछा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर क्यों नहीं गए और तनाव के लिए लोगों से माफी क्यों नहीं मांगी.
मणिपुर के लोग इस उपेक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ सकते-जयराम रमेश
इससे पहले मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीरेन सिंह ने कहा, “राज्य में जो कुछ हुआ उसके लिए मैं खेद व्यक्त करना चाहता हूं. कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया और कई लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा. मुझे खेद है और मैं माफी मांगना चाहता हूं.”
जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में उनकी माफी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं जा सकते और वहां भी यही बात क्यों नहीं कह सकते? उन्होंने जानबूझकर 4 मई, 2023 से राज्य का दौरा करने से परहेज किया है, जबकि वे देश और दुनिया भर में यात्रा कर रहे हैं. मणिपुर के लोग इस उपेक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ सकते.”
बिरेन सिंह ने कांग्रेस पर लगाया हिंसा पर राजनीति करने का आरोप
बिरेन सिंह ने जयराम रमेश की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आप सहित सभी लोग जानते हैं कि मणिपुर आज उथल-पुथल में है, क्योंकि कांग्रेस ने पहले भी कई पाप किए हैं, जैसे कि मणिपुर में बर्मी शरणार्थियों को बार-बार बसाना और राज्य में म्यांमार स्थित उग्रवादियों के साथ एसओओ समझौते पर हस्ताक्षर करना, जिसकी अगुआई @PChidambaram_IN ने भारत के गृह मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान की थी.” बिरेन सिंह ने स्पष्ट किया कि उनकी माफ़ी विस्थापित लोगों के प्रति दुख की एक सच्ची अभिव्यक्ति थी और माफ़ी का आग्रह था.
सिंह ने कहा, “आज मैंने जो माफ़ी मांगी है, वह उन लोगों के लिए दुख व्यक्त करने का एक ईमानदार प्रयास है जो विस्थापित हो गए हैं और बेघर हो गए हैं. एक मुख्यमंत्री के तौर पर, यह माफ़ करने और जो कुछ हुआ उसे भूल जाने की अपील थी. हालाँकि, आपने इसमें राजनीति ला दी है.”
मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं आपको याद दिला दूं: मणिपुर में नागा-कुकी संघर्ष के परिणामस्वरूप लगभग 1,300 लोग मारे गए और हज़ारों लोग विस्थापित हुए. हिंसा कई वर्षों तक जारी रही, 1992 और 1997 के बीच समय-समय पर इसमें वृद्धि हुई, हालांकि संघर्ष का सबसे तीव्र दौर 1992-1993 में था. संघर्ष 1992 में शुरू हुआ और लगभग पाँच वर्षों (1992-1997) तक अलग-अलग तीव्रता के साथ जारी रहा. यह अवधि पूर्वोत्तर भारत में सबसे खूनी जातीय संघर्षों में से एक थी, जिसने मणिपुर में नागा और कुकी समुदायों के बीच संबंधों को गहराई से प्रभावित किया.”
Manipur violence: पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव और आईके गुजराल पर उठाए सवाल
बीरेन सिंह ने सवाल उठाया कि क्या पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव और आईके गुजराल ने पिछले संघर्षों के लिए माफी मांगने के लिए मणिपुर का दौरा किया था. उन्होंने कांग्रेस पर समाधान पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया.
बिरेन सिंह ने एक्स पर पोस्ट में कहा, “क्या श्री पीवी नरसिम्हा राव, जो 1991 से 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे और इस दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे, माफ़ी मांगने मणिपुर आए थे? कुकी-पाइट संघर्ष में राज्य में 350 लोगों की जान चली गई थी. कुकी-पाइट संघर्ष (1997-1998) के दौरान, श्री आईके गुजराल भारत के प्रधानमंत्री थे. क्या उन्होंने मणिपुर का दौरा किया और लोगों से माफ़ी मांगी? मणिपुर में मूल मुद्दों को हल करने के प्रयास करने के बजाय, @INCIndia हर समय इस पर राजनीति क्यों कर रही है?”
आपको याद दिल दें, 3 मई, 2023 से मणिपुर में जातीय संघर्षों के कारण विभाजन हो गया है, जो इम्फाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और पहाड़ी जिलों में प्रमुख आदिवासी कुकी समुदाय के बीच है. हिंसा में कम से कम 260 लोगों की जान चली गई और लगभग 50,000 लोग बेघर हो गए.