लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं के कारण लगतार सडक दुर्घटनाएं होती रहती है. कई बार पशुओं की जान कभी इंसानी जान तक चली जाती है. सबसे ज्यादा परेशानी उन गायो को लेकर है जिनका दूध निकाल लेने के बाद शहर में उन्हें पालने वाले सड़कों पर चारा खाने के लिए छोड़ देते हैं. गांवों में लोग आवारा पशुओं से परेशान है. ये आवारा जानवर किसानों का फसल क बर्बाद कर देते हैं. ऐसे पशु मालिकों के खिलाफ योगी सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि अगर कोई सड़को पर गायों को छोड़ता है तो अब उनकी खैर नहीं होगी. उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जायेगा.
आवारा पशुओं से निबटने के लिए बनेगा टास्क फोर्स
यूपी में आवारा पशुओं से निपटने के लिए बनेगी टास्क फोर्स बनाने का ऐलान किया गया है .जल्द ही टास्क फोर्स बनाकर आवारा पशुओं के यहां वहां भटकने पर लगाम लगाई जायेगी. प्रदेश सरकार हर जिले में एक टास्क फोर्स का गठन करेगी..5 जनवरी से 20 जनवरी तक विशेष अभियान चलाया जायेगा.
सड़कों और फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए मुहिम
उत्तर प्रदेश का पशुधन विभाग गोवंश संरक्षण के लिए जहां एक तरफ विस्तृत अभियान चलाएगा वहीं दूसरी तरफ गोवंश को बेसहारा छोड़ने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी.
विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि 5 जनवरी से उत्तर प्रदेश पशुधन विभाग के द्वारा वृहद अभियान चलाकर सभी निराश्रित गोवंश को गौ आश्रय स्थल में एकत्रित किया जाएगा. इसके लिए जिलों में फोर्स का गठन किया जाएगा और प्रत्येक जिले में टोल फ्री नंबर को भी जारी किया जाएगा.उत्तर प्रदेश का पशुपालन विभाग अब उन लोगों पर भी कार्रवाई करेगा जिन्होने पशुओं की जियो टैगिंग तो कराई है लेकिन पशुओं को निराश्रित सड़कों पर छोड़ दिया है ऐसे लोगों के खिलाफ अब पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा.
2022 में यूपी चुनाव में आवारा पशु थे बड़ा मुद्दा
2022 के विधानसभा चुनाव में निराश्रत गोवंश एक बड़ा मुद्दा था जिसे विपक्षी दलों ने जमकर उछाला था लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इस मुद्दे को पशुधन विभाग पूरी तरह से खत्म करने की कवायद शुरु कर चुका है. 5 जनवरी से जनवरी यानी कि 15 दिन का यह अभियान निराश्रित गोवंश को संरक्षित करने और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी विपक्षियों के मुद्दे को खत्म करने के लिए शुरू की गई है.