लखनऊ : ज्ञानवापी Gyanvapi Case परिसर पर ASI सर्वे की रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कई दावे किये हैं.उन्होंने कल एएसआई की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक की.रिपोर्ट में सामने आया है कि ज्ञानवापी में पहले हिंदू मंदिर था. इसके बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं.
Gyanvapi Case में मंत्रियों के आये ट्वीट
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने भी इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ट्वीट किया है.केशव प्रसाद मौर्य ने अपने ट्वीट पर सिर्फ हर हर महादेव लिखा है,वहीं बृजेश पाठक ने ट्वीट किया बम बम भोले बाबा की कृपा. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट में लिखा है कि ज्ञानवापी पर एएसआई सर्वे के बाद मुस्लिम पक्ष को खुद ही मंदिर हिंदू पक्ष को सौंप देना चाहिए. इससे इतिहास में हुई गलतियों को सुधारने का अवसर मिलेगा और सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा मिलेगा.
असदुद्दीन ओवैसी ने एएसआई की रिपोर्ट पर किया कटाक्ष
इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी ने एएसआई की रिपोर्ट पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया कि यह पेशेवर पुरातत्वविदों या इतिहासकारों के किसी भी समूह के सामने अकादमिक जांच में टिक नहीं पाएगा.रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मजाक उड़ाती है.जैसा कि महान विद्वान ने एक बार कहा था एएसआई हिंदुत्व के हाथ की कठपुतली है.एएसआई की रिपोर्ट के एक हिस्से में कहा गया है कि वैज्ञानिक अध्ययन सर्वेक्षण के आधार पर वास्तुशिल्प अवशेषों,उजागर विशेषताओं और कलाकृतियों, शिलालेखों, कला और मूर्तियों का अध्ययन किया गया है.
कुल 839 पन्नों की एएसआई सर्वे रिपोर्ट
यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले वहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था.एएसआई सर्वे रिपोर्ट कुल 839 पन्नों की बताई जा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिलर्स और प्लास्टर थोड़े मोडिफिकेशन के साथ मस्जिद बनाने के लिए फिर से इस्तेमाल किए गए. हिंदू मंदिर के खम्भों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया. पिलर के नक्काशियों को मिटाने की कोशिश की गई .इसके साथ ही 32 शिलालेख मिलने की जानकारी भी दी गई, जो पुराने हिंदू मंदिर के हैं .देवनागरी, ग्रंथतेलगु,कन्नड़ भाषा में लिखे गए शिलालेख भी यहां से मिले हैं.तहखाने में भी हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं जिन्हें नीचे मिट्टी से दबा दिया गया था. यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का ही हिस्सा है.17वीं शताब्दी में हिंदू मंदिर को तोड़ा गया और इसके मलबे से ही वर्तमान ढांचा बनाया गया.