मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि दशकीय जनसंख्या के साथ caste census कराना जरूरी है

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Mallikajun Kharge Jharkhand
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caste census: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह बाबासाहेब डॉ. बीआर अंबेडकर के मूल्यों को कायम रखने में विफल रही है.
अंबेडकर जयंती के अवसर पर बोलते हुए खड़गे ने अपनी पार्टी की ओर से सत्तारूढ़ सरकार के समक्ष पांच मांगें रखीं.

caste census जरूरी है- खड़गे

खड़गे ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा, “सबसे पहले मैं यह कहना चाहता हूं कि जाति जनगणना जरूरी है.” “अभी केंद्र सरकार 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर अपनी योजनाएं बना रही है. 2021 में होने वाली जनगणना के बारे में अभी पता नहीं है. हम मांग करते हैं कि आम जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना भी जरूरी है. क्योंकि इतने सालों के बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि आज समाज के विभिन्न वर्गों की वास्तविक स्थिति क्या है.” उन्होंने यह भी मांग उठाई कि केंद्र सरकार को एससी-एसटी सब-प्लान को फिर से लागू करना चाहिए.

आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया

उन्होंने कहा, “हमारी कर्नाटक और तेलंगाना राज्य सरकारों ने उप-योजना को लागू करने के लिए कानून बनाए हैं. हम भाजपा सरकार से मांग करते हैं कि केंद्र सरकार एससी-एसटी उप-योजना को फिर से लागू करे.”
खड़गे ने आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने लिखा, “तमिलनाडु को छोड़कर कोई ऐसा राज्य नहीं है, जहां आरक्षण सुरक्षित है. हम मांग करते हैं कि राज्यों के आरक्षण को अनुसूची 9 में शामिल किया जाए, ताकि 50 प्रतिशत की सीमा हटाकर राज्यों के आरक्षण को सुरक्षित किया जा सके.” कांग्रेस अध्यक्ष निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण चाहते थे. उन्होंने कहा, “2006 में संविधान के अनुच्छेद 15 (5) में संशोधन करके निजी कॉलेजों में एससी, एसटी, ओबीसी को आरक्षण देने के लिए संशोधन किया गया था, जिसे 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. आज 55 प्रतिशत उच्च शिक्षण संस्थान निजी हाथों में हैं. हमारे बच्चे कैसे पढ़ेंगे?”

कांग्रेस चाहती थी कि महिला आरक्षण विधेयक फौरन लागू हो-खड़गे

खड़गे ने कहा कि जब दो साल पहले महिला आरक्षण विधेयक पारित हुआ था, तो पार्टी चाहती थी कि इसे तुरंत लागू किया जाए. उन्होंने कहा, “जब दो साल पहले महिला आरक्षण विधेयक पारित हुआ था, तो कांग्रेस पार्टी ने मांग की थी कि इस अधिनियम को तुरंत लागू किया जाए और साथ ही इसके तहत एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित किया जाए.”

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