Monday, July 7, 2025

सुप्रीम कोर्ट में पटाखों पर बैन पर हुई सुनवाई,आवेदक का दावा- ‘पटाखे शुद्ध करते हैं वायुमंडल’

- Advertisement -

Supreme Court Firecrackers Ban :  दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लगे प्रतिबंध मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने लगाए गए प्रतिबंध में किसी भी तरह की ढील देने से इनकार कर दिया. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण लंबे समय से चिंता का विषय बना हुआ है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वो लोग होते हैं जो सड़कों पर काम करते हैं. मामले में एक आवेदक ने कहा, मुझे अपनी बात रखनी है. इस पर कोर्ट ने उसे इजाजत की. आवदेक ने कहा कि पटाखे पर पाबंदी का फैसला उचित नहीं है. पटाखे तो वायुमंडल को शुद्ध करते हैं. इन पर बैन अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र का हिस्सा है. इस पर जस्टिस ओका ने पूछा कि क्या आप एक्सपर्ट हैं? जवाब में उसने कहा, हां, मैं आईआईटी IIT से पढ़ा हुआ इंजीनियर हूं.

Supreme Court Firecrackers Ban

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा,हर कोई अपने घर या कार्यस्थल पर एयर प्यूरीफायर लगाने का खर्च नहीं उठा सकता. इसलिए प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी है. कोर्ट ने ये भी कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अनिवार्य हिस्सा है. इसी के तहत नागरिकों को प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीने का अधिकार भी है.

हरित पटाखों पर पुनर्विचार से इनकार

कोर्ट ने ये भी साफ किया कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि हरित पटाखे न्यूनतम प्रदूषण करते हैं, तब तक पिछले आदेशों पर पुनर्विचार नहीं किया जाएगा. समय-समय पर पारित आदेश ये दर्शाते हैं कि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक था. क्योंकि यहां प्रदूषण की स्थिति असाधारण रूप से गंभीर बनी हुई है.

गाचीबोवली वन क्षेत्र में मामले में SC का निर्देश

वहीं,सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद विश्वविद्यालय से सटे कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में हो रही पेड़ों की कटाई पर सख्त रुख अपनाते हुए इसे तुरंत रोकने का आदेश दिया. अदालत ने तेलंगाना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को इलाके का दौरा कर अंतरिम रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिया.

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया और तेलंगाना के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक क्षेत्र में कोई और पेड़ न काटे जाएं. यह मामला तब सामने आया जब अधिवक्ता के. परमेश्वर, जो पर्यावरण मामलों में न्यायमित्र के रूप में सुप्रीम कोर्ट की सहायता कर रहे हैं, ने वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई को लेकर चिंता व्यक्त की.

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news