Bengal teacher recruitment scam: गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के संचालित और राज्य-सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को अमान्य करार देने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है.
आज (3 अप्रैल, 2025) को दिए फैसले में गए सर्वोच्च न्यायालय ने पहले के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया गंभीर अनियमितताओं से दूषित थी, जिसके कारण इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया.
कोर्ट ने पूरी चयन प्रक्रिया को बताया दूषित और दागी
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की अगुवाई वाली पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि विचाराधीन भर्ती प्रक्रिया में बुनियादी तौर पर खामियाँ थीं. अपने फैसले में, अदालत ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में हेराफेरी ने नियुक्तियों की ईमानदारी को इस हद तक प्रभावित किया है कि उन्हें बनाए नहीं रखा जा सकता. न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि पूरी चयन प्रक्रिया दूषित और दागी थी, जिससे नियुक्तियाँ अमान्य हो गईं.
अदालत का यह फैसला कलकत्ता उच्च न्यायालय के अप्रैल 2024 के फैसले की पुष्टि करता है, जिसने पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्कूलों में 25,000 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था.
कोर्ट ने अपना फैसले दो हिस्से में दिया पहले हिस्से में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विवादास्पद भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियुक्त किए गए सभी व्यक्तियों को उनके पदों से हटा दिया जाए. वहीं दूसरे हिस्से में प्रभावित लोगों को राहत देते हुए, अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि व्यक्तियों को पहले से प्राप्त किसी भी वेतन या लाभ को वापस करने की आवश्यकता नहीं होगी.
क्या है Bengal teacher recruitment scam
यह मामला पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के राज्य द्वारा संचालित और राज्य द्वारा सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए 2016 में आयोजित की गई भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा है. इस प्रक्रिया में कुल 24,640 रिक्तियों के लिए 23 लाख उम्मीदवारों ने प्रतिस्पर्धा की थी, लेकिन इसके बावजूद, चौंकाने वाले 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए. भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं, जैसे ओएमआर शीट से छेड़छाड़ और रैंक-जंपिंग के मामले, कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा चिह्नित किए गए थे, जिसके कारण अंततः इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था.
यह मामला पश्चिम बंगाल सरकार सहित कई पक्षों द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बाद सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा. 19 दिसंबर, 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने मामले पर सुनवाई शुरू की, जो जनवरी और फरवरी 2025 तक जारी रही. शीर्ष अदालत ने अंततः 10 फरवरी, 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसका अंतिम फैसला 3 अप्रैल, 2025 को सुनाया गया.
अब आगे क्या हो सकता है
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखने के साथ, अगले कदमों में नियुक्त व्यक्तियों के लिए समाप्ति आदेशों का कार्यान्वयन शामिल होगा. जिन लोगों को आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त रिक्तियों के बाहर या आधिकारिक भर्ती तिथि की समाप्ति के बाद नियुक्त किया गया था, उन्हें कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 12% ब्याज के साथ सभी पारिश्रमिक और लाभ वापस करने का निर्देश दिया गया है.
हालाँकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने नियुक्तियों को रद्द कर दिया है, लेकिन इसने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भर्ती अनियमितताओं की अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी है. सीबीआई की जांच, जिसे मई 2024 में शीर्ष अदालत ने अनुमति दी थी, जारी है और कथित हेरफेर में शामिल लोगों के लिए आगे के कानूनी परिणाम हो सकते हैं.
ये भी पढ़ें-Waqf amendment bill पर आज राज्यसभा में एनडीए बनाम विपक्ष का होगा टकराव