Parliament: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा को संबोधित करते हुए प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की सफलता पर प्रकाश डाला. उन्होंने इस भव्य धार्मिक समागम की व्यापक तैयारियों और निर्बाध क्रियान्वयन की सराहना की, जिसमें दुनिया भर से लाखों श्रद्धालुओं, संतों और पर्यटकों ने भाग लिया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं प्रयागराज में महाकुंभ की सफलता में योगदान देने वाले देश के करोड़ों लोगों को नमन करता हूं.’’ उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ उभरते भारत की भावना को दर्शाता है.
#WATCH | लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं प्रयागराज में हुए महाकुंभ पर वक्तव्य देने के लिए उपस्थित हुआ हूं। आज मैं सदन के माध्यम से देशवासियों को कोटि-कोटि नमन करता हूं जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है। मैं… pic.twitter.com/ydmtMtXL80
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 18, 2025
मॉरीशस के गंगा तालाब में अर्पित किया गंगाजल
मॉरीशस में गंगाजल ले जाने के अपने तरीके पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा, “यह उत्साह सिर्फ़ एक जगह तक सीमित नहीं था. मैं मॉरीशस में था… मैं अपने साथ महाकुंभ का पवित्र जल लेकर गया था. जब इस पवित्र जल को मॉरीशस के गंगा तालाब में अर्पित किया गया, तो वहां भक्ति और उत्सव का माहौल वाकई अद्भुत था.” मोदी ने कहा, “यह दर्शाता है कि आज हमारी परंपराओं, संस्कृति और मूल्यों को मनाने की भावना कितनी प्रबल हो गई है. महाकुंभ से अमृत के कई रूप निकले हैं… एकता का अमृत। महाकुंभ एक ऐसा आयोजन था, जिसमें देश के हर क्षेत्र, हर कोने से लोग एक साथ आए.”
विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए-पीएम
लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “…पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए. सबका प्रयास का यही साक्षात स्वरूप है. यह जनता जनार्दन का, जनता जनार्दन के संकल्पों के लिए, जनता जनार्दन की श्रद्धा से प्रेरित महाकुंभ था…महाकुंभ में हमने हमारी राष्ट्रीय चेतना के जागरण के विराट दर्शन किए.”
महाकुंभ से एकता का अमृत निकला वह बहुत पवित्र प्रसाद है.
लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “… महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं, एकता का अमृत इसका बहुत पवित्र प्रसाद है. महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा जिसमें देश के हर क्षेत्र, कोने से आए लोग एक हो गए. लोग अहम त्यागकर मैं नहीं हम की भावना से प्रयागराज में जुटे… जब अलग-अलग भाषा, बोली बोलने वाले लोग संगम तट पर हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं तो ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की झलक दिखती है…”
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