पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सभी हत्यारे अब रिहा कर दिए जाएंगे. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए हत्या के दोषी 6 लोगों को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर इनपर कोई और मामला नहीं है तो इनको रिहा कर दिया जाए. कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में जिन आरोपियों को रिहा करने के आदेश दिए हैं वो हैं नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार, और रॉबर्ट पॉयस. एक और दोषी पेरारिवलन पहले ही इस मामले में रिहा हो चुका है.
किस आधार पर मिली रिहाई
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में फैसला सुनाते हुए नलिनी श्रीहर समेत सभी 6 दोषियों को रिहा कर दिया. दोषियों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दलील दी कि उनकी याचिका पर राज्यपाल ने कदम नहीं उठाया इसलिए उसे ये फैसला देना पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी पेरारीवलन की रिहाई के लिए जो आदेश दिया गया था वो बाकी दोषियों पर भी लागू होगा. आपको बता दें नलिनी श्रीहर और आरपी रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई की याचिका को मद्रास हाईकोर्ट ने 17 जून को खारिज कर दिया था. इसी फैसले के खिलाफ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. दोनों दोषियों ने अपनी रिहाई के लिए ए जी पेरारीवलन की रिहाई के फैसले का हवाला दिया था.
आपको बता दें राजीव गांधी हत्या मामले में तमिलनाडु सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दोषियों की समय से पहले रिहाई का समर्थन कर चुकी है.
कब हुई थी हत्या
21 मई 1991 को श्रीपेरंबुदूर की एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. आत्मघाती महिला जिसकी पहचान धनु के रुप में की गई थी. राजीव गांधी को माला पहनाने के बाद पैर छूने झुकी और बलास्ट हो गया था. इस हमले में राजीव गांधी के साथ 18 और लोगों की भी मौत हुई थी.
कांग्रेस ने की सुप्रीम कोर्ट के फैसले की निंदा, कहा निर्णय अस्वीकार्य
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दोषियों की रिहाई को लेकर कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश ने कहा कि ” पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अन्य हत्यारों को मुक्त करने का SC का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है. कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि SC ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया”
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अन्य हत्यारों को मुक्त करने का SC का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है। कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि SC ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया: कांग्रेस सांसद जयराम रमेश, कांग्रेस https://t.co/TTGjea03iJ pic.twitter.com/AH3SyOgaxk
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 11, 2022
अब तक मामले में क्या हुआ
राजीव गांधी की हत्या के मामले में पुलिस ने 41 लोगों को आरोपी बनाया था. जिसमें से 12 लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन फरार हो गए थे. बाकी 26 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पकड़े गए लोगों में श्रीलंकाई और भारतीय नागरिक शामिल थे. जबकि फरार आरोपियों में प्रभाकरण, पोट्टू ओम्मान और अकीला के नाम शामिल थे. टाडा कोर्ट में सात साल तक चली सुनवाई के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने अपने 1000 पन्नों के आदेश में सभी 26 को दोषी पाया और फांसी की सजा सुनाई.
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो 26 में से 19 दोषियों को रिहाई मिल गई. जबकि मई 1999 के अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथान और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा था. हालांकि, 2014 में इन चारों में से तीन पेरारीवलन, संथान और मुरुगन की दया याचिका पर सुनवाई में 11 साल देरी का हवाला देते हुए उनकी सजा को उम्र कैद में बदल दिया था. वहीं नलिनी की मौत की सजा को आजीवन कारावास में 2001 में बदला गया. इसका आधार बना उसकी एक बेटी का होना.