भारत के पड़ोसी देश नेपाल में जहां एक तरफ सियासी हलचल मची हुई है. वहीं, दूसरी तरफ शनिवार को दो अलग-अलग क्षेत्रों में दो बार हल्की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. सुबह के समय लोगों को यह झटके महसूस हुए. हालांकि, भूकंप से किसी तरह के नुकसान की तत्काल कोई सूचना नहीं है.
नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप निगरानी केंद्र के अनुसार, राजधानी काठमांडू से करीब 300 किलोमीटर दूर बागलुंग जिले में सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर भूकंप आया. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.1 थी और इसका केंद्र जिले का खुखानी इलाका था.
दो बार कांपी नेपाल की धरती
भूकंप निगरानी केंद्र ने बताया कि भूकंप सुबह तड़के 3.14 बजे बागलुंग से करीब 40 किलोमीटर दूर म्याग्दी जिले में आया. केंद्र ने कहा कि रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4 मापी गई इसका केंद्र म्याग्दी जिले का मुरी इलाका था. हालांकि, 4 तीव्रता के भूकंप को हल्का माना जाता है. जबकि 6 से 9 तीव्रता के भूकंप को खतरनाक माना जाता है. भूकंप का केंद्र मयागडी जिले का मुरी इलाका था.
पहले भी डोली थी धरती
नेपाल में इससे पहले 28 फरवरी को भी धरती कांपी थी. शुक्रवार तड़के 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था. यह भूकंप काफी तेज था जिससे लोगों के घरों के पंखे, खिड़की, दरवाजे हिल गए थे और वो दहशत के चलते जाग गए थे. राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र ने पुष्टि की कि भूकंप का केंद्र काठमांडू से लगभग 65 किमी पूर्व में सिंधुपालचौक जिले के भैरवकुंड में था. भूकंप स्थानीय समयानुसार देर रात 2:51 बजे आया था, जिससे नेपाल के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में दहशत फैल गई थी.
क्यों आते हैं नेपाल में भूकंप?
नेपाल सबसे सक्रिय टेक्टोनिक क्षेत्रों (भूकंपीय क्षेत्र IV और V) में से एक में स्थित है, जो देश को भूकंप के लिए बेहद संवेदनशील बनाता है. यही वजह है कि अक्सर देश में भूकंप दर्ज किए जाते हैं. हिमालयी राष्ट्र में अब तक का सबसे भयानक भूकंप 2015 में आया था, जिसके दौरान 7.8 तीव्रता के भूकंप में 9,000 से अधिक लोग मारे गए थे और 1 मिलियन से अधिक बिल्डिंग को नुकसान पहुंचा था.