लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी Rahul Gandhi ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वे व्यापार विरोधी नहीं हैं, बल्कि एकाधिकार (monopoly) के विरोधी हैं. उन्होंने कहा कि वे ” “ओलिगोपॉलीज” चंद लोगों के हाथ में निर्माण और बाज़ार होने के खिलाफ हैं. राहुल गांधी ने ये सफाई अपने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक लेख को लेकर दी.
मैं 1 या 2 या 5 लोगों के व्यापार पर वर्चस्व के खिलाफ हूं- Rahul Gandhi
एक्स पर एक वीडियो में राहुल गांधी ने दावा किया कि बीजेपी उन्हें एक व्यापार विरोधी नेता के रूप में पेश करना चाहती है. उन्होंने कहा कि वह “2 या 5 लोगों के व्यापार पर वर्चस्व के विरोधी हैं.”
I am pro-Jobs, pro-Business, pro-Innovation, pro-Competition. I am anti-Monopoly.
Our economy will thrive when there is free and fair space for all businesses. pic.twitter.com/hySqQKpRdJ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 7, 2024
उन्होंने कहा, “मैं एक बात बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं, भाजपा में मेरे विरोधियों ने मुझे व्यापार विरोधी के रूप में पेश किया है. मैं बिल्कुल भी व्यापार विरोधी नहीं हूं, मैं एकाधिकार विरोधी हूं, मैं अल्पाधिकार बनाने का विरोधी हूं, मैं एक या दो या पांच लोगों के व्यापार पर वर्चस्व के खिलाफ हूं.” राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने अपना पेशेवर करियर एक प्रबंधन सलाहकार के रूप में शुरू किया था और वह सफल व्यापार की आवश्यकताओं को समझते हैं.
मैं व्यापार विरोधी नहीं हूं, मैं एकाधिकार विरोधी हूं- Rahul Gandhi
पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कहा, “मैंने अपना करियर एक प्रबंधन सलाहकार के रूप में शुरू किया था और मैं समझता हूं कि व्यापार को सफल बनाने के लिए किस तरह की चीजों की आवश्यकता होती है. इसलिए मैं बस दोहराना चाहता हूं, मैं व्यापार विरोधी नहीं हूं, मैं एकाधिकार विरोधी हूं.”
राहुल ने खुद को स्वतंत्र और निष्पक्ष बाज़ार का समर्थक बताया
राहुल गांधी ने खुद को “नौकरी समर्थक, व्यापार समर्थक, नवाचार समर्थक, प्रतिस्पर्धा समर्थक” बताया. उन्होंने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था तभी फलेगी-फूलेगी जब सभी व्यवसायों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष स्थान होगा.”
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर किसानों के कल्याण की बजाय चुनिंदा उद्योगपतियों को तरजीह देने का आरोप लगाया है. वह अकसर केंद्र सरकार को बिजनेस टाइकून गौतम अडानी और अंबानी से जोड़ते हैं. हलांकि इंडियन एक्सप्रेस के लेख जिसे लेकर उन्होंने ये सफाई दी है उसमें उन्होंने दोनों का नाम नहीं लिया था.
इंडियन एक्सप्रेस आर्टिकल में राहुल गांधी ने क्या लिखा था
राहुल गांधी की यह टिप्पणी इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखने के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मूल ईस्ट इंडिया कंपनी 150 साल पहले खत्म हो गई थी, लेकिन उसके बाद जो डर पैदा हुआ, वह एकाधिकारवादियों की नई नस्ल के साथ वापस आ गया है.
उन्होंने कहा, “इसने हमारे बैंकिंग, नौकरशाही और सूचना नेटवर्क को नियंत्रित किया. हमने अपनी आजादी किसी दूसरे देश के हाथों नहीं खोई, बल्कि हमने इसे एक एकाधिकारवादी निगम के हाथों खो दिया, जो एक दमनकारी तंत्र चलाता था.”
गांधी ने लिखा कि एक नए प्रकार के एकाधिकारवादियों ने इसकी जगह ले ली है, जो अपार संपत्ति अर्जित कर रहे हैं, जबकि भारत अन्य सभी के लिए कहीं अधिक असमान और अनुचित हो गया है.