Friday, November 22, 2024

आतिशी को सीएम बनाकर अरविंद केजरीवाल ने एक तीर से साधे कितने निशाने,किस किस को दिया संदेश..

Arvind Kejriwal : 12 साल के छोटे से समय में देश के दो राज्यों में बहुमत के साथ  सरकार बनाने वाले अरविंद केजरीवाल राजनीति में नये प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं. अन्ना आंदोलन के समय राजनेताओं को अपने मंच पर जगह भी ना देने वाले अरविंद केजरीवाल आज एक मंझे हुए राजनेता बन चुके हैं और इसका परिचय एक बार फिर उन्होने जेल से आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर साबित कर दिया है. जेल जाने के बाद भी तमाम आलोचनाओ के बावजूद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा ना देने वाले अरविंद केजरीवाल ने नियमित जमानत मिल जाने के बाद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर ये बता दिया है कि कुर्सी के खेल में वो अब एक बड़े और मंझे हुए राजनेता बन चुके हैं और उन्हे राजनीति के गुणा गणित में पटखनी देना इतना आसान नहीं है.

Arvind Kejriwal ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर दिया क्या संदेश ?

दिल्ली में जब से अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बात कही, तब से कयासों का दौर शुरु हो गया. लोग कयास लगते रहे कि चुनावी राज्यों में  जाति की राजनीति साधने के लिए किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाया जायेगा, कभी कयास लगे कि किसी और पर भरोसा करने के बजाय केजरीवाल लालू यादव की तरह अपनी पत्नी को ही सीएम बनायेंगे और रबड़ स्टेैंप की तरह दिल्ली का काम होगा. ये पहले से तय था कि मुख्यमंत्री वही बनेगा जिसे अरविंद केजरीवाल चाहेंगे और हुआ भी वही.  केजरीवाल ने दिल्ली की कुर्सी पर  बिठाने के लिए अपनी कैबिनेट की साथी आतिशी को चुना.दिल्ली के कालकाजी की विधायक आतिशी ने  दिल्ली सरकार की कैबिनेट में रहते हुए अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद  शिक्षा मंत्री के तौर पर काम करते हुए एक सुलझी और परिपक्व राजनेता की पहचान बनाई.

आतिशी को सीएम बनाकर केजरीवाल ने आधी आबादी को साधा   

माना जा रहा है कि दिल्ली की कुर्सी पर बैठाकर अरविंद केजरीवाल ने आधी आबादी यानी तकरीबन 47.1 करोड़ महिलाओं पर दाव खेल दिया है. इस समय देश में महिला वोटरों की संख्या 47 प्रतिशत से कुछ ज्यादा ही है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने एक मंझे हुए राजनेता की तरह अपने परिवार से बाहर एक महिला को मुख्यमंत्री बनाकर देश की आधी आबादी को साधने का काम किया है.जानकारों के मानना है कि केजरीवाल के इस कदम से उन्हें हरियाणा चुनाव में भी जबर्दस्त समर्थन मिल सकता है.

राजनीति के जानकारों के साथ भी केजरीवाल खेल गये गुगली

दिल्ली में राजनीति के जानकारों का मानना था कि अरविंद केजरीवाल अगले कुछ महीनो में होने वाले हरियाणा, महाराष्ट्र आदि राज्यों के विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री बनायेंगे.  ऐसे में कुलदीप कुमार , जो अनुसूचित जाति से आते हैं, उनकी लाटरी लग सकती है. इसके अलावा राखी बिड़लान, कैलाश गहलौत , गोपाल राय आदि के नाम भी सामने आये. कहा जा रहा है कि केजरीवाल अगर इन लोगों में से किसी को मुख्यमंत्री बनाते तो उन्हे हरियाणा महाराष्ट्र के चुनाव मे फायदा मिल सकता था लेकिन केजरीवाल ने बड़ी सोच रखते हुए एक सक्षम महिला को सीएम की कुर्सी पर बैठाकर जाति धर्म की राजनीति करने वाली पार्टियो को आइना दिखा दिया है.

सूत्रों के मुताबिक खुद अरविंद केजरीवाल ने बैठक में आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा,जिसपर पीएसी के सभी सदस्य सहमत हुए. आतिशी को लेकर एक बात और खास रही कि अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद आतिशी ने हर मोर्चे पर मजबूती से कमान संभाला विपक्ष के हर हमले का मुकाबला किया. सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के साथ भी अच्छे संबंध अच्छे रहे और उन्होंने सुनीता केजरीवाल को अरविंद केजरीवाल की गैर मौजूदगी में हर कदम पर साथ दिया. यही काऱण रहा कि सुनीता केजरीवाल आतिशी से बेहद प्रभावित नजर आती रही हैं.

आतिशी को आगे करके केजरीवाल ने साधा बड़ा निशाना

जानकारों केा मानना है कि मुख्यमंत्री के पद के लिए आतिशी का नाम आगे करके केजरीवाल ने दूर का लक्ष्य साधा है.केजरीवाल ने एक ऐसी महिला को मुख्यमंत्री बनाया है  जिनपर अब तक कोई आरोप नहीं है. मनीष सिसोदिया के पद से हटने के बाद बतौर शिक्षा मंत्री उनके काम को विदेशों में भी सराहना मिली है .

आदमी पार्टी ने महिलाओं को दिया  50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व

सीएम अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद आतिशी ने एक बेहतरीन प्रशासक के रुप में अपनी छवि बनाई. दूसरी सबसे बड़ी बात कि वो महिला हैं. ऐसे में केजरीवाल ने उन्हें सीएम बनाकर देशभर की महिलाओं को संदेश दिया है कि आम आदमी पार्टी की दो राज्यों में  सरकार है. पंजाब में भगवंत मान सीएम हैं तो अब दिल्ली में आतिशी को जिममेदारी सौंपी गई है.अर्थात  आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री पद में महिला को 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी है.ऐसे में जब अरविंद केजरीवाल हरियाणा और दूसरे चुनावी राज्यों में प्रचार के लिए जाएंगे तो  वहां वो कह सकते हैं कि उनकी पार्टी में महिला को बराबरी का दर्जा हासिल है, इसलिए उन्होंने एक महिला को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया है.

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 राजनीतिक के मैदान में एक कदम से केजरीवाल ने मारा छक्का  

राजनीतिक गुणा गणित को देखें तो आंकड़े बताते है कि अगर अरविंद केजरीवाल ने किसी अनुसूचित जाति आये व्यक्ति को दिल्ली की कमान सौंपी होती तो करीब करीब 20 करोड़ से अधिक लोगों में संदेश जाता. लेकिन अब दिल्ली में एक महिला को मुख्यमंत्री बनकर ‘आप’ ने देश की तकरीबन 47 प्रतिशत आबादी के लिए मैसेज दिया है .

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