Friday, November 22, 2024

Arvind Kejriwal bail: दिल्ली आबकारी नीति मामला में सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

Arvind Kejriwal bail: गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बेल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में दायर सीबीआई गिरफ्तारी के खिलाफ याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनीं.

Arvind Kejriwal bail: सुनवाई के दौरान सीबीआई ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, 26 जून को केजरीवाल को गिरफ्तार करने वाली सीबीआई ने सीएम की जमानत याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल उठाया.
एजेंसी ने शीर्ष अदालत से कहा कि केजरीवाल को भ्रष्टाचार के मामले में जमानत के लिए पहले ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था.
पीटीआई ने सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू के हवाले से कहा, “उन्होंने सत्र न्यायालय में जाए बिना सीधे दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 के तहत दोनों के पास समवर्ती क्षेत्राधिकार है. मेरी प्रारंभिक आपत्ति यह है कि उन्हें पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए.” एएसजी के अनुसार, एजेंसी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत केजरीवाल को नोटिस जारी नहीं किया क्योंकि वह पहले से ही न्यायिक हिरासत में थे.

‘सभी आरोपी रिहा हो गए, दिल्ली के सीएम क्यों नहीं’ – केजरीवाल के वकील सिंघवी

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ जमानत याचिका पर बहस करते हुए वकील सिंघवी ने कहा, “ट्रायल कोर्ट ने उल्लेख किया कि गिरफ्तारी का समय थोड़ा असामान्य है. ट्रिपल टेस्ट पूरी तरह से पूरा हुआ है. यह विडंबना है कि लगभग सभी सह-आरोपी ,सिसोदिया, कविता, बुची बाबू रिहा हो गए हैं, सिवाय एक को छोड़कर.”
सिंघवी ने कहा, “मुझे ट्रायल कोर्ट में वापस जाने के लिए कहा जा रहा है. मैं मानता हूं कि उच्च न्यायालय के पास समवर्ती क्षेत्राधिकार है, लेकिन इसे वापस भेजने के लिए विवेक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. मेरे मित्र की प्रारंभिक आपत्ति इस पर सुनवाई न करने की है. हालांकि, विद्वान न्यायाधीश ने पूरे दिन इस पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया.”
सिंघवी ने आगे कहा, “इस स्तर पर सीबीआई द्वारा उठाया गया यह उचित तर्क नहीं है, जब तक कि यह देरी पैदा करने की रणनीति न हो.”
केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया कि मुख्यमंत्री एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं और उनके “भागने का जोखिम” नहीं हैं. सिंघवी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने दो मौकों पर उन्हें रिहाई के लिए फिट पाया था!”
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली के सीएम के वकील सिंघवी ने कहा, “इस बीच, ईडी कोर्ट द्वारा दी गई नियमित जमानत पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसके बावजूद, अगस्त 2022 से लगभग दो साल तक सीबीआई की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, जबकि मुझे तीन रिहाई आदेश मिले हैं. 26 जून को एक बीमा गिरफ्तारी की गई थी. सीआरपीसी की धारा 41ए को 2010 में एक खास उद्देश्य से पेश किया गया था. गिरफ्तारी को विनियमित करना. आप बिना किसी वैध आधार के किसी को जबरन गिरफ्तार नहीं कर सकते.”

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