Lateral entry system: लेटरल एंट्री सिस्टम के ज़रिए 45 नौकरशाहों की भर्ती सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी चिराग पासवान को रास नहीं आई है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी सरकार के फ़ैसले के पक्ष में नहीं है.
चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा पिछड़े वर्गों और जातियों को आरक्षण देने के पक्ष में रही है और सरकार का यह कदम “पूरी तरह से गलत” है. उन्होंने कहा कि वह इस मामले को मोदी सरकार के समक्ष उठाएंगे.
सरकार का यह कदम “पूरी तरह से गलत” है
चिराग पासवान ने कहा, “ऐसी नियुक्तियों पर मेरी पार्टी का रुख बिल्कुल स्पष्ट है. जहां भी सरकारी नियुक्तियां होती हैं, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन होना चाहिए. जिस तरह से यह जानकारी सामने आई है, वह मेरे लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि मैं इस सरकार का हिस्सा हूं और इन मुद्दों को उठाने के लिए मेरे पास मंच है. अपनी पार्टी की ओर से बोलते हुए, हम इसके बिल्कुल पक्ष में नहीं हैं. यह पूरी तरह से गलत है और मैं इस मामले को सरकार के समक्ष उठाऊंगा.”
Lateral entry system क्या है
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शनिवार को पार्श्व प्रवेश के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की.
विपक्ष ने कहा कि इस फैसले से ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण अधिकारों को कमजोर किया गया है.
लेटरल एंट्री को लेकर केंद्र बनाम विपक्ष
इस बीच, सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया कि लेटरल एंट्री की अवधारणा पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान पेश की गई थी और 2005 में इसके द्वारा स्थापित दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने इसका जोरदार समर्थन किया था.
उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐतिहासिक रूप से बाहरी प्रतिभाओं को अपने उच्च स्तरों पर शामिल किया है, आमतौर पर सलाहकार भूमिकाओं में लेकिन कभी-कभी प्रमुख प्रशासनिक कार्यों में भी.
उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए, मुख्य आर्थिक सलाहकार पारंपरिक रूप से लेटरल एंट्री वाले होते हैं, जो नियमों के अनुसार 45 वर्ष से कम आयु के होने चाहिए और हमेशा एक प्रख्यात अर्थशास्त्री होते हैं.
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि वरिष्ठ नौकरशाही में लेटरल एंट्री सिस्टम की कांग्रेस की आलोचना उसका “पाखंड” दिखाती है.
कांग्रेस ने माना की उन्होंने शुरु किया था लेटरल एंट्री सिस्टम
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्वीकार किया कि उनकी पार्टी की सरकार ने विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए लेटरल एंट्री सिस्टम शुरू किया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों को छीनने का हथियार बना लिया है.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि लेटरल एंट्री के जरिए सरकारी कर्मचारियों की भर्ती करने का सरकार का कदम दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है. उन्होंने कहा कि “भाजपा का रामराज्य का विकृत संस्करण” संविधान को नष्ट करने और “बहुजनों” से आरक्षण छीनने का प्रयास करता है.
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