Thursday, December 19, 2024

नफरती भाषणों पर तुरंत कार्रवाई नहीं करना, अब मानी जाएगी सुप्रीम कोर्ट की अवमानना

हैट स्पीच यानी नफरती भाषणों पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को कोर्ट ने काफी सख्त रुख अपनाया. कोर्ट ने कहा कि सांप्रदायिक आधार पर भड़काऊ बयान देने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को ऐसे मामलों में निर्देशित करते हुए कोर्ट ने कहा कि भड़काऊ बयान देने वाला किसी भी धर्म का हो उसपर कार्रवाई की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस खुद मामले का संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करें. पुलिस को इसके लिए किसी की तरफ की शिकायत दाखिल होने का इंतज़ार करने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने ये बी कहा कि अगर कार्रवाई करने में पुलिस कोताही बरतेगी तो कोर्ट उसे अपनी अवमानना मानेगा.
इस मामले में शाहीन अब्दुल्ला ने कोर्ट में याचिका दर्ज की थी. शाहीन का कहना था कि पिछले कुछ सालों में मुसलमानों के खिलाफ लगातार हिंसक बयान दिए जा रहे हैं, जिससे डर का माहौल बना है.
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए. कपिल सिब्बल ने बीजेपी नेताओं के बयानों का हवाला देते हुए जस्टिस के एम जोसफ और ऋषिकेश रॉय की बेंच के सामने अपनी बात रखी. कपिल सिब्बल ने बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की बात कही थी. इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट का ध्यान उस बयान की ओर भी खींचा जो इसी कार्यकर्म में दिया गया था और उसमें एक नेता ने गला काटने जैसी बात कही थी. कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद मामले में जो आदेश दिए थे, उनका कोई असर नहीं हो रहा है. अब भी लगातार ऐसे कार्यक्रम हो रहे हैं.

धर्म के नाम पर कहा से कहा आ गए है हम- जस्टिस के एम जोसफ
इस मामले की सुनवाई के दौरान ऐसे मामलों पर चिंता जताते हुए जस्टिस के एम जोसफ कहा, “यह 21वीं सदी है. हम धर्म के नाम पर कहां आ पहुंचे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए. लेकिन आज घृणा का माहौल है. सामाजिक तानाबाना बिखरा जा रहा है. हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है. उसके नाम पर विवाद हो रहे हैं.” जस्टिस जोसफ के इस बयान पर कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसे भाषणों के खिलाफ कई बार शिकायत भी की गई है. लेकिन प्रशासन निष्क्रिय बना रहता है.

क्या सिर्फ एक तरफ से ही दिए जा रहे है नफरती बयान?- जस्टिस ऋषिकेश रॉय
मामले की सुनवाई के दौरान बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने कहा, “क्या ऐसे भाषण सिर्फ एक तरफ से ही दिए जा रहे हैं? क्या मुस्लिम नेता नफरती बयान नहीं दे रहे? आपने याचिका में सिर्फ एकतरफा बात क्यों कही है?” जज के इस सवाल के जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि जो भी नफरत फैला रहा है, उस पर कार्यवाही होनी चाहिए.

कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
मामले की सुनवाई पूरी कर जजों ने करीब 25 मिनट का ब्रेक लिया. जिसके बाद जस्टिस जोसफ ने फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा “IPC में वैमनस्य फैलाने के खिलाफ 153A, 295A, 505 जैसी कई धाराएं हैं. लेकिन अगर पुलिस उनका उपयोग न करे तो नफरत फैलाने वालों पर कभी लगाम नहीं लगाई जा सकती. याचिका में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की घटनाओं का हवाला दिया गया है. हम इन राज्यों को निर्देश दे रहे हैं कि वह ऐसे मामलों में तुरंत केस दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई करें. इसके लिए किसी शिकायत का इंतज़ार न करें.”

दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकारों से मांगा कार्रवाई का ब्यौरा
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से कहा कि अगर भविष्य में ऐसे मामलों में पुलिस कानूनी कार्यवाही नहीं करती या कोताही बरती नज़र आएगी, तो इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, उत्तराखंड समेत यूपी की सरकारों को यह भी कहा है कि पिछले कुछ समय में अपने यहां दिए गए सभी नफरती बयानों को लेकर उन्होंने क्या कार्यवाही की है इसका ब्यौरा भी कोर्ट में जमा करवाएं.

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