डॉलर के मुकाबले रुपया रोज़ नई गहराई नाप रहा है. बुधवार को करेंसी बाजार बंद होने तक रुपया 0.8 फीसदी यानी 66 पैसे की गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 83.02 रुपये पर बंद हुआ.
माना जा रहा है कि अमेरिका के बॉन्ड रेट में बढ़ोतरी के चलते रुपये में गिरावट देखी जा रही है. डॉलर की मजबूती को रुपये की गिरावट की वजह बताया जा रहा है. रुपये के 82.40 पर पहुंचने पर आरबीआई ने उसे संभालने की कोशिश की थी लेकिन उसका कुछ ज्यादा फायदा नहीं हुआ. जानकारों का कहना है कि अगर फिर आरबीआई रुपये को संभालने के लिए दखल नहीं देगी तो ये गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा और हो सकता है मार्च 2023 तक डॉलर के मुकाबले रुपया 85 रुपये तक भी आ जाए.
रुपये की गिरावट का असर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ता नज़र आ रहा है. एक साल पहले जो विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर था वो अब घटकर 538 अरब डॉलर के आस-पास रह गया है. एक साल में विदेशी मुद्रा कोष में 100 अरब डॉलर की गिरावट आई है. लेकिन परेशान करने वाली बात ये है कि जानकारों का कहना है कि ये अभी ओर गिरेगा और इसके घटकर 500 अरब डॉलर रह जाने की आशंका है.
रुपये की गिरावट का असर अर्थव्यवस्था पर भी नज़र आ रहा है. डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी के चलते इंपोर्ट महंगा हो गया है. इंपोर्ट महंगा होने का असर चालू खाते का घाटा भी बढ़ है. आपको बता दें मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून में चालू खाते का घाटा बढ़कर 23.9 अरब डॉलर हो गया है जो जीडीपी का 2.8 फीसदी है.
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