Jagganath Yatra पुरी, ओडिशा : भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा का शुभारंभ हो गया है. भक्तों को आज 14 दिन बाद महाप्रभु जगन्नाथ के दर्शन हुए हैं. भगवान के विशाल रथ को आस्था की मजबूत रस्सी से खींचने की परंपरा है .इसके लिए हर साल लाखों लोग जगन्नाथधाम यानी की पुरी आते हैं. इस साल की जगन्नाथ यात्रा खास है क्योंकि 53 सालों के बाद ये मौका आया है जब ये यात्रा दो दिन तक चलेगी. इस खास मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हो रही हैं.
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Today they are doing seva in Puri Jagganath Rath Yatra 🙏🚩 pic.twitter.com/lcTrwiQlVS— Adarsh Hegde (Modi Ka Parivar) (@adarshahgd) July 7, 2024
भगवान का रथ यात्रा के लिए निकल चुका है. तमाम विधि विधानों के साथ यात्रा की शुरु होकर दी गई है .आइये आपको बताते है कि जिस रथ पर सवार हो कर जगन्नाथ प्रभु आज नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे वो कैसा है, भगवान जगन्नाथ प्रभु के रथ की क्या है खासियत हैं.
Jagganath Yatra : भगवान जगन्नाथ का रथ कैसा है ?
इस यात्रा मे तीन रथ होते हैं, जिसमें एक पर भैया बलभद्र , दूसरे पर बहन सुभद्रा और तीसरे पर भगवान जगन्नाथ प्रभु विराजते हैं.
भगवान जगन्नाथ का ये रथ 45 फिट और 6 इंट उंचा होता है,इसका निर्माण 832 लकड़ी के टुकड़ों से किया जाता है .
वहीं भगवान जगन्नाथ के भाई बलभद्र का रथ 45 फिट उंचा और 763 लकड़ियों से बना होता है.
बहन सुभद्रा के रथ में 553 लकड़ियां लगाकर इसका निर्माण किया जाता है और इसकी उंचाई 44 फिट 6 इंच होती है.
परंरपरा है कि हर साल इस यात्रा के शुरु होने से पहले पुरी के राजा यहां आते हैं और अपने हाथों से सोने की झाडू से रथ के गुजरने वाले रस्ते की सफाई करके यात्रा की शुरुआत करते हैं. इस बार ये परंपरा दिव्य सिंह देव ने निभाया . यात्रा में संबसे आगे भैया बलभद्र का रथ है, बीच में बहन सुभद्रा और सबसे पीछे जगन्नाथ प्रभु का रथ है .जगन्नाथ यात्रा की ये भी परंपरा रही है कि शाम होने पर यात्रा रोक दी जाती है और फिर अगले दिन यात्रा शुरु होती है.
यात्रा में आज पहले दिन आज भगवान जगन्नाथ प्रभु अपनी मौसी के घर रवाना होंगे . इस बार आषाढ मास की द्वितीय तिथि और ग्रह नक्षत्रों की गणना के बाद यात्रा को दो दिन तक करने का फैसला का गया है.53 साल के बाद एक बार फिर से ये मौका आया है. पिछली बार 1971 में ये यात्रा दो दिन तक चली थी.
आज की यात्रा में जगन्नाथ प्रभु अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर पहुंचेंगे फिर गुंडीचा मंदिर में उनका रात्रि विश्राम होगा. अगले सात दिन तक प्रभु अपने भाई बहन के साथ यहीं रहेंगे.
दरअसल पुरी की रथ यात्रा से पहले कई तरह की परंपराएं निभाई जाती है. कुछ अनुष्ठान दो दिन पहले से ही शुरु हो जाते है लेकिन इस बार स्नान पूर्णिमा पर बीमार हुए भगवान जगन्नाथ प्रभु आज सुबह ही ठीक हुए, इसलिए रथयात्रा से पहले होने वाले सभी उत्सव आज ही मनाये गये.
तो आइये आपको बताते है कि यात्रा पर निकले से पहले भगवान के दिन की शुरुआत कैसे हुई.
कैसे हुई भगवान के दिन की शुरुआत
भगवान को जगन्नाथ को आम दिनों से 2 घंटे पहले ही जगा दिया गया. सुबह 4 बजे की जगह मंगला आरती रात 2 बजे की गई. मंगला आरती के बाद ढाई बजे भगवान के दशावतार का पूजन हुआ.
रात्रि 3 बजे नैत्रोत्सव और सुबह 4 बजे पुरी के राजा की तरफ से विशेष पूजा की गई.
सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर सूर्य पूजा और फिर करीब साढे 5 बजे द्वारपाल पूजा हुई. सुबह 7 बजे भगवान को नाश्ते में खिचड़ी भोग दिया गया. सुबह साढे 11 बजे रथों की पूजा हुई. इस बार भीड ज्यादा होने कारण भगवान के नवयौवन दर्शन नहीं हो पायेंगे.