Wednesday, December 25, 2024

केंद्र ने दी थी बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई को मंजूरी-गुजरात सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा

सामूहिक बलात्कार की पीडिता बिलकिस बानो के अपराधियों को समय से पूर्व जेल से छोड़ने का फैसला केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद लिया गया था. इस बात का खुलासा सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान हुआ. ये जानकारी गुजरात सरकार ने खुद कोर्ट को दी.
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केंद्र ने दी थी बिलकिस के दोषियों को रिहा करने की मंजूरी
सुनवाई के दौरान सवाल पूछा गया था कि क्या केंद्र और राज्य दोनों में बलात्कार के दोषियों को छोड़े जाने पर प्रतिबंध है, इसके बावजूद केंद्र सरकार ने रिहाई को मंजूरी दी? जिसके जवाब में गुजरात सरकार ने कहा कि हां केंद्र की मंजूरी के बाद ही दोषियों को रिहा किया गया था.
आपको याद होगा कि इस साल 15 अगस्त के मौके पर लाल किले से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटियों को बढ़ाने और सम्मान देन के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रहे थे उसी समय बीजेपी शासित गुजरात में बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों को सरकार ने “अच्छे आचरण के आलोक” में समय से पहले जेल से रिहा कर दिया. यहां तक के जेल के बाहर आने पर उन हैवानों को कुछ तथाकथित हिंदुवादी संगठनों ने मिठाई भी खिलाई और उनकी आरती उतर उनका स्वागत किया था. जैसे वह कोई जंग जीत कर बाहर आये हो.

केंद्र ने अनुमति देने की बात से किया था इनकार
इस के बाद देश भर में इस मामले में सुर्खियां बनी. केंद्र सरकार ने इस मामले में अपनी तरफ से ये सफाई दी थी कि फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार से ये सवाल पूछ गया कि क्या केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिहाई के लिए मंजूरी दी थी? इस सवाल के जवाब में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करते हुए बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिनांक 11.07.2022 को एक पत्र के माध्यम से समय से पहले रिहाई को मंजूरी दी थी. मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि यह “समय से पहले रिलीज के लिए सीआरपीसी की धारा 435 के तहत केंद्र सरकार की सहमति / अनुमोदन देता है.
सुप्रीम कोर्ट में सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एक अन्य की याचिका पर सुनवाई चल रही है. इन याचिकाओं में बिलकिस बानो के 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई है
क्या है बिलकिस बानो मामला
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई से संबंधित सभी दस्तावेज सहित कार्यवाही का पूरा रिकॉर्ड कोर्ट में दाखिल करने को कहा है.
2002 में हुए गुजरात दंगे के दौरान हुआ बिलकिस बानो बलात्कार कांड वह काला औऱ मानवता को शर्मसार करने वाला अध्याय है जिसमें एक 21 साल की पांच महीने की गर्भवती बिलकिस के साथ ना केवल सामूहिक बलात्कार किया गया बल्कि उसकी आंखों के सामने उसकी तीन साल की मासूम बच्ची को इन वहशियों ने कत्ल कर दिया. उसकी मां और बहन के साथ भी बलात्कार किया गया. और परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई.

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