जिस वक़्त अपने देश भारत में बीफ़, मीट और मांसाहार को लेकर आए दिन बवाल मचा रहता है उस वक़्त एक ऐसा मांसाहारी मुल्क़ भी है जो होटल में जाकर शाकाहारी भोजन का लुत्फ़ उठा रहा है. मांसाहार को इस्लाम और मुसलमानों से जोड़ कर देखा जाता रहा है. मुसलमान होने भर से ये मान लिया जाता है कि शख़्स मांसाहार का शौकीन होगा. हफ़्ते के सात दिन और दिन में तीन बार ये सिर्फ मांसाहारी भोजन खाता होगा. जबकि ऐसा नहीं है. बहुत से मुसलमान शाकाहारी भी होते हैं और कई दूसरी कौम के लोगों की तरह सिर्फ अंडा या फिर मछ्ली या मुर्गा ही खाते हैं. इतना ही नहीं सभी की तरह उनके पसंदीदा शाकाहारी व्यंजन भी होते हैं. वह होटलों में सिर्फ शाकाहारी खाना खाने भी जाते हैं.
वैसे तो दुनिया भर में भारतीय खानों की धूम के बारे में आपको जानकारी भी होगी. ख़ासकर दक्षिण भारतीय इडली-दोसा और पंजाबी छोले भटूरे या फिर दिल्ली की चाट. सिर्फ ये ही नहीं मैकडोनाल्ड और केएफसी जैसे फास्टफूड ब्रैंड जो दुनिया भर में सिर्फ मांसाहारी व्यंजन बेचते हैं वो सिर्फ भारत में वेज ऑप्शन के साथ लोगों को लुभाने की कोशिश करते नज़र आते हैं. आप सोच रहे होंगे की मांसाहारी और शाकाहारी भोजन पर बात कर हम आपसे क्या कहना चाहते हैं. असल में हम आपको सिर्फ ये बताना चाहते हैं कि खाने की पसंद किसी धर्म या जाति से नहीं जुड़ी होती. इसी लिए तो इस्लाम की पैदाइश के मुल्क़ सऊदी अरब में एक ऐसा रेस्तरां खुला है जहां पूरी तरह शाकाहारी खाना परोसा जा रहा है. इस रेस्तरां की एक ख़ास बात ये भी है कि इसकी मालकिन एक महिला है. अरब देशों में जहां सख़्त पर्दा प्रथा का पालन होता है वहां एक महिला का रेस्टोरेंट जैसे बिज़नेस में होना बड़ी बात है.
सऊदी अरब के रियाद शहर की अबीरुल मुतलक़ी की कहानी हो या ऐसे ही देश विदेश में बदलते मुस्लिम समाज की अनेकों दूसरी कहानियां हमें देखने को मिली एक वेबसाइट पर जिसका नाम है “आवाज़ द वॉइस”. (awazthevoice.in) इस साइट को ध्यान से देखने और उसपर प्रकाशित आम लोगों की ख़ास कहानियों को पढ़ने के बाद ये तो साफ हो गया कि ये वेबसाइट मुस्लिम नौजवानों की वह छवि आपके सामने रखना चाहती है जहां तरक्की है, नाम है, शौहरत है. एक ऐसी छवि जिसमें “माई नेम इस खान एंड आई एम नॉट ए टैररिस्ट” बोलने की भी ज़रूरत नहीं.
रियाद शहर की अबीरुल मुतलाक की कहानी वैसे तो अरब न्यूज़ की रिपोर्ट है लेकिन भारतीय मीडिया में इसे कम ही जगह मिली है. ऐसे में “आवाज़ द वॉइस” (awazthevoice.in) का इस साधारण सी कहानी जो किसी दूसरे मुल्क से जुड़ी हो उसे उठाना ये बताता है कि ये वेबसाइट मुसलिम समाज में हो रहे बदलाव पर बारीक़ी से नज़र रखे हुए है और उसके सकारात्मक पक्ष को दुनिया के सामने रखने की मंशा रखती है. “आवाज़ द वॉइस” (awazthevoice.in) को आभार के साथ हम आपको बताते हैं रियाद की रहने वाली अबीरुल मुतलक़ी के इस सऊदी अरब के इस पहले और अपनी तरह के अनोखे रेस्तरां के बारे में.
इस्लाम की जन्मस्थली सऊदी अरब में परिवर्तन की हवा चल रही है.
पहले सऊदी अरब में महिलाओं को वोटिंग और ड्राइविंग जैसे अधिकार दिए गए और अब यहां कि महिलाएं उद्यमी भी बन रही हैं. उद्यमी भी ऐसी जो ऑफबीट विचारों को भी सफल व्यवसाय में बदल रही हैं. ऐसी ही एक महिला हैं अबीरुल मुतलाक. अबीरुल मुतलाक “वबी सबी” की संस्थापक हैं, जो रियाद और पूरे सऊदी अरब में पहला शाकाहारी रेस्तरां है. ये रेस्तरां एशियाई और पश्चिमी शाकाहारी व्यंजन लोगों तक पहुंचा रहा है.
अरब न्यूज के अनुसार, अबीरुल मुतलाक रेस्तरां खोलने से पहले 11 वर्षों तक रियल एस्टेट उद्योग से जुड़ी रही हैं. उनका रेस्तरां सऊदी खाद्य और पेय उद्योग में शाकाहारी-मांसाहारी भोजन के अंतर को भरता है.
सऊदी अरब में बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाओं के कारण, रियाद शहर में कई प्रवासियों का घर है जो अपने खाने के साथ अलग-अलग प्रयोग करना पसंद करते हैं. ऐसे ही शाकाहारी या वेगन खाने के शौकिनों के लिए अबीर का रेस्तरां एकदम फिट और बहुत ही हिट है.