बीजेपी के अंदर सांसदों और विधायकों की क्या हालत है यह कैसरगंज के सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के बयान से साफ तौर पर समझा जा सकता है.दूसरी पार्टियों में नेताओं को बोलने की कितनी छूट है और कितनी डेमोक्रेसी है ये देखने और बताने वाली पार्टी के अंदर कितनी डेमोक्रेसी है या फिर अपनी सरकार के खिलाफ बोलने की कितनी आजादी है,ये बता रहे हैं सांसद ब्रजभूषम शरण सिंह.
उत्तर प्रदेश में बाढ़ की विभीषिका अपने चरम पर है.लोग परेशान हैं,लाचार हैं.बाढ़ से निपटने के इंतजाम को देखकर बीजेपी सांसद ब्रजभूषण सिंह आपे से बाहर हो गए और अपनी ही सरकार पर जमकर बरसे. वो सिर्फ नाराज ही नहीं थे बलकि हताश भी थे.
जब पत्रकारों ने बाढ़ से निपटने के जिला प्रशासन और सरकारी प्रयासों के बारे में पूछा तो सांसद महोदय ने अपनी सरकार की धज्जियां उड़ा दी. उन्होंने कहा कि-
“जिला प्रशासन के बारे में मत ही पूछिए तो अच्छा है. देखिये, पहले कोई भी सरकार होती थी तो बाढ़ के पहले एक बैठक हुआ करती थी. ऐसे में हमें नहीं लगता कोई बैठक हुई है और भगवान के भरोसे लोग हैं. लोग इंतज़ार कर रहे हैं कब पानी टूटेगा कब उनकी परेशानी कम होगी. मैंने अपने जीवन में इससे ख़राब बाढ़ के लिए व्यवस्था कभी नहीं देखी. अफ़सोस ये है कि हम लोग रो भी नहीं सकते, अपने भाव को व्यक्त भी नहीं कर सकते. ट्रैक्टर ट्रॉली से बुज़ुर्गों बच्चों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाला जा रहा है.जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं पहुँची है.सभी आम लोग भगवान भरोसे हैं.चर्चा के लिए वक्त नहीं है.चर्चा बाढ़ आने से पहले की जाती है बाद में नहीं.हमारा बोलना बंद है केवल सुनने की इजाज़त है.जनप्रतिनिधियों की जुबान बंद है.बोलोगे तो बागी कहलाओगे.”
बीजेपी सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह का ये बयान बीजेपी और खासकर सरकार में शामिल सांसदों,मंत्रियों और विधायकों की दुर्दशा को बताता है. अकसर सुनने में आता है कि बीजेपी में खासकर सरकार में शामिल सांसदों और मंत्रियों पर बहुत ज्यादा दबाव है.उन्हें ज्यादा बोलने की इजाज़त भी नहीं है. खासकर सरकार की आलोचना तो बिलकुल भी नहीं कर सकते चाहे स्थिति कितनी भी खराब क्यों ना हो. यहां पर बीजेपी सांसद की परेशानी भी यही है कि उन्हें वोट तो अपनी जनता से लेना है लेकिन जनता की परेशानी को दूर करने के लिए सरकार से कुछ कह भी नहीं सकते.तो अगली बार जब चुनाव आएगा तो किस मुंह से वोट मांगेंगे. लेकिन बीजेपी सांसद ने अपनी सरकार को लेकर जो कुछ भी कहा है उतना बोलने के लिए भी बहुत हिम्मत की जरूरत है . कहीं ये हिम्मत ब्रज भूषण शरण सिंह के लिए भारी ना पड़ जाए.