नई दिल्ली : ECI in Supreme court :चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में प्रत्येक चरण में हुई वोटिंग के बारे मे डेटा सार्वजनिक करने से इंकार करते हुए कहा है कि डेटा को जारी करने का कोई कानूनी आधार नहीं है . चुनाव आयोग ने कहा कि अगर फार्म 17C भरा गया और हर बूथ पर हुई वोटिंग का डेटा सार्वजनिक किया गया तो इससे भ्रम की स्थिति पैदा होने की संभावना है. कोई इसका फोटोशॉप करेगा और भ्रम की स्थिति पैदा होगी.चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करके ये बाते कही हैं.
ECI in Supreme court : अराजकता पैदा करने के लिए हो सकता है गलत इस्तेमाल
कानूनी मामलो के वेबसाइट बार एंड बेंच के मुताबिक चुनाव आयोग ने अपने हलफनामें में कहा है कि किसी भी चुनावी मुकाबले में जीत का अंतर बहुत करीब का हो सकता है, ऐसे मामलो में जनता के बीच फॉर्म 17 के का खुलासा करन पर मतदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है. चुनाव आयोगा ने हलफनामें कहा है कि फार्म 17 के वोटिंग आंकड़ों के बाद जोड़े गये वोटों की संख्या डाकपत्रों से मिले वोटों की संख्या से मिलान किया जाता है. इसलिए , इस तरह का अंतर वोटर्स को समझ नहीं आयेगा और चुनावों के दौरान गलत परभाव डालेगा, मतदाताओं के बीच अराजकता पैदा करने के लिए लोग इसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं.
No legal mandate to make booth wise votes polled public; will confuse voters: ECI to Supreme Court
report by @AB_Hazardous #SupremeCourt #ElectionCommission #loksabhaelction @ECISVEEP https://t.co/t70n7ZTLqq
— Bar and Bench (@barandbench) May 22, 2024
चुनाव आयोग ने किस मामले में दिया हलफनामा?
दरअसल चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एसोसियेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की शिकायत पर चुनाव आयोग से आंकड़ा देने के लिए कहा था. ADR ने अपनी शिकायत में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मतदान खत्म होने के 48 घंटे के अंदर चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर केंद्रवार मतदान प्रतिशत सार्वजनिक करें. वहीं चुनाव आयोग ने अपने हलफनामें में ADR की याचिका का विरोध किया है.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाय चंद्चूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पिछले हफ्ते ही ADR की शिकायत पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था और केंद्रवार मतदान प्रतिशत को लेकर आयोग से जवाब मांगा था.मजे की बात ये है कि चुनाव आयोग ने अपने हलफनामें में एडीआर की शिकायत पर भी सवाल उठाया है. चुनाव आयोग ने अपने गलफनामें में कहा है कि ‘निहित स्वार्थ’ के लिए एडीआर चुनाव आयोग के कामकाज को बदनाम करने के लिए उनपर झूठे आरोप लगाता रहा है.एडीआर की तरफ से इस मामले में वकील प्रशांत भूषण पैरवी कर हैं.