झारखंड (Jharkhand): कांग्रेस झारखंड में लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर असमंजस में है. झारखंड में कांग्रेस पार्टी ने तीन उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है लेकिन अन्य चार सीटों पर पिछले कई दिनों से अटका पड़ा है. कारण है कांग्रेस के पास बीजेपी उम्मीदवारों के मुकाबले मजबूत उम्मीदवारों की कमी है. उम्मीदवारों की घोषणा में देरी से कांग्रेस 2024 की लड़ाई में झारखंड में पिछड़ती नजर आ रही है. बीजेपी के उम्मीदवारों ने अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है, वही कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान से गायब है. कांग्रेस पार्टी की ओर से बीजेपी को काउंटर करने के लिए कांग्रेस लाचार दिख रही है.
एक सीट के लिए कई दावेदारों ने पेंच फंसा रखा है
रांची, धनबाद, गोड्डा और चतरा में उम्मीदवार के एलान में हो रही देरी ने कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी गिरा दिया है. माना जा रहा है कि कांग्रेस के अंदर एक सीट के लिए कई दावेदारों ने पेंच फंसा रखा है. रांची लोकसभा क्षेत्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के साथ पूर्व सांसद रामटहल चौधरी भी दावेदार माने जा रहे है. कुछ दिन पहले ही बीजेपी के पूर्व सांसद रामटहल कांग्रेस में शामिल हुए थे, 2019 का चुनाव भी उन्होने निर्दलीय लड़ा था और तीसरे नंबर पर आए थे, दूसरे नंबर पर रहे सुबोधकांत ने अभी तक अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी है, वही दूसरी ओर बीजेपी के उम्मीदवार संजय सेठ ने प्रचार अभियान में कांग्रेस पर बढ़त ले ली है.
सांसद सुनील सिंह की टिकट काटकर कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया
अब बात चतरा लोकसभा सीट की करे तो यहां कांग्रेस और आरजेडी के बीच मामला फंसा हुआ है. दोनों ही पार्टी इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे है. आरजेडी की ओर से गिरिनाथ सिंह और अरूण सिंह दावेदार माने जा रहे है तो कांग्रेस की ओर से केएन त्रिपाठी की दावेदारी की जा रही है. कुछ दिनों पहले बीजेपी से आरजेडी में घर वापसी करने वाले गिरिनाथ सिंह को लेकर जेएमएम और आरजेडी चाहती थी कि उन्हे आरजेडी की जगह कांग्रेस पार्टी में शामिल करा लिया जाए और उनको गठबंधन का उम्मीदवार बना दिया जाए, लेकिन प्रदेश कांग्रेस ने गिरिनाथ से पल्ला झाड़ लिया तो आखिरकार उन्हे फिर आरजेडी में ही शामिल होना पड़ा. कांग्रेस इस सीट पर पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाना चाहती है. बीजेपी यहां भी कांग्रेस से दो कदम आगे नजर आ रही है. सांसद सुनील सिंह का विरोध होने के बाद उनका टिकट काटकर कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया और उन्होने भी अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है. एक तरफ जहां महागठबंधन के नेता-कार्यकर्ता कन्फ्यूज है.
Jharkhand: दावेदार के रूप में बादल पत्रलेख का नाम भी चर्चाओं में है
गोड्डा में तीन कांग्रेस विधायकों के बीच उम्मीदवारी झूल रही है. बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे को टक्कर देने के लिए तीनों विधायक अपने अपने दावे कर रहे है. रांची से लेकर दिल्ली तक लांबिंग कर रहे है लेकिन जनता के सामने अभी कोई तस्वीर स्पष्ट नहीं है. कांग्रेस दीपिका पांडे सिंह, इरफान अंसारी अपने पिता फुरकान अंसारी और प्रदीप यादव अपने अपने तरीके से निशिकांत दुबे को चुनौती देने के दावे कर रहे है. इनमें जारी दावेदारी की रार से पूरा मामला फंसा हुआ नजर आ रहा है. वही एक दावेदार के रूप में बादल पत्रलेख का नाम भी चर्चाओं में है. गोड्डा में कांग्रेस के विधायकों के बीच आपसी खींचतान ने टिकट वितरण में देरी कर दी है वही दूसरी ओर निशिकांत फिर से जीत के लिए ताल ठोक रहे है.
धनबाद को लेकर भी ऐसी की स्थिति बनी हुई है एक ओर बीजेपी के उम्मीदवार ढुल्लू महतो अपने प्रचार अभियान को तेज कर रहे है अभी कांग्रेस उम्मीदवारों के तलाश में ही है. हालांकि सरयू राय जरूर ढुल्लू की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहे है, लेकिन कांग्रेस यहां भी असमंजस की स्थिति में है. कांग्रेस ये नहीं तय कर पा रही है कि सरयू राय को समर्थन किया जाए या फिर किसी पुराने कांग्रेसी पर दांव लगाया जाए. एक तरफ ददई दुबे अपनी ओर से जोर आजमाइश कर रहे है तो दूसरी ओर कांग्रेस विधायक अनूप सिंह अपने परिवार के लिए टिकट चाह रहे है, कभी झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह का नाम भी चर्चा में आता है. झारखंड में कांग्रेस की दुविधा का कोई हल नजर नहीं आ रहा है.

