नई दिल्ली : माओवादी लिंक मामले में गिरफ्तार दिल्ली विश्वविद्यालय के Prof GN Saibaba पूर्व प्रोफेसर जी एन साई बाबा की जेल से रिहाई के खिलाफ दाखिल महाराष्ट्र सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जीएन साई बाबा को बंबई हाईकोर्ट से गिरफ्तारी के सात सात के बाद रिहाई मिली है.
GN Saibaba कौन हैं, क्यों हुई थी सजा ?
जीएन साईबाबा दिल्ली विश्व विद्यालय में प्रोफेसर के पूर्व प्रोफेसर है. उन्हें माओवादियों से लिंक मामले में 2014 में गिरफ्तार किया गया था और 2017 में उन्हें माओवादिये के साथ मिलकर आतंक फैलाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की अदालत से दोषी ठहराये जाने के बाद 2017 से जीएन साईबाबा नागपुर के जेल में बंद थे. जीएन साईबाबा को नागपुर जेल के अंडा सेल में रखा गया था. लगभग एक दशक के एकांतवास और टार्चर के बाद उन्हें 7 मार्च को बांबे हाईकोर्ट के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया . महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने बांबे हाई कोर्ट से जीएन साई बाबा को मिली रिहाई का विरोध किया था और रिहाई रद्द करने का मांग की थी.
जेल से बाहर आने के बाद बेहद बीमार दिखे जीएन साईबाबा
जेल से बाहर आने के बाद जीएन ने कहा था कि उन्हें आशंका थी कि वो कभी जीवित जेल से बाहर आ पायेंगे.जेल से व्हीलचेयर पर बाहर आये जीएन साईबाबा ने कहा था कि मेरा स्वास्थ्य बहुत खराब है. मैं बात नहीं कर सकता हूं,मुझे पहले इलाज कराना होगा और उसके बाद ही मैं बात कर पाऊंगा.
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क्या होती है अंडा सेल ?
26/11 हमले के खूंखार आतंकी अजमल कसाब की सजा के दौरान अंडा सेल के बारे में लोगों ने जाना. भारतीय जेलों में अंडा सेल वो टार्चर सेल होता है, जहां खूंखार आतंकिवादियो, खतरनाक-दुर्दांत आपराधियों को पूरी दुनिया से अलग करके रखा जाता है. ये एकदम एकांत में अंडे के आकार की सेल होती है, जिसमें ना तो खिड़की होती है ना ही कोई दरवाजा. इस सेल में कहीं से बाहर की रौशनी नहीं आती है,ना ही हवा. ये जेल कैदियों को प्रताडित करने के लिए सबसे आखिरी जगह होती है. माओवादी लिंक के आरोप वाले पूर्व प्रोफेसर जीएन साई बाबा ने 10 साल तक नागपुर के ऐसे ही अंडा सेल में रखा गया था.