वाराणसी : Gyanvapi ज्ञानवापी परिसर के व्यासजी तहखाने में शुरु हुई पूजा के खिलाफ हाइकोर्ट पहुंचे मुस्लिम पक्ष की तरफ से अजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को वहां से भी झटका लगा है. हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने फिलहाल पूजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया और मुस्लिम पक्ष को याचिका मे संशोधन करके आने के लिए कहा है . अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुस्लिम पक्ष को अपनी अपील में संशोधन करने के लिए कहा है. इसके साथ ही एडवोकेट जनरल को आदेश दिया है कि कानून व्यवस्था को बनाये रखें.
[BREAKING] Allahabad High Court declines interim stay on Varanasi court order allowing Hindu prayers in Gyanvapi mosque cellar; asks Muslim side to amend its plea
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— Bar & Bench (@barandbench) February 2, 2024
Gyanvapi मामले में हाइ कोर्ट ने सुनी मुस्लिम पक्ष की अपील
मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने कहा कि हम देखते हैं, रिसीवर को नियुक्त करने में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई. मुस्लिम पक्ष की तऱफ से ये हाईकोर्ट को बताया गया कि हिंदु पक्ष आवेदन पर 17 जनवरी को रिसिवर नियुक्त करते हुए कहा कि 31 जनवरी को पूजा की अनुमति भी दे दी गई. हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से ये भी पूछा कि ज्ञानवापी परिसर में 4 तहखाने हैं, लेकिन हिंदु पक्ष इनमे से कौन सा तहखाना मांग रहा है.इश पर मुस्लिम पक्ष मे कहा कि हिंदु पक्ष व्यास तहखाना मांग रहा है.
मुस्लिम पक्ष अपनी अपील में करें संशोधन
इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष स पूछा कि जब 17 जनवरी को सिरिवर नियुक्त करने का आदेश आया, फिर 31 जनवरी को परिणामी आदेश भी गया तब तक मुस्लिम पक्ष की ओर से इस फैसले को चैलैंज क्यों नही किया गया. जब तक फैसले के चुनौती नहीं दी जायेगी तब वो अपील पर सुनवाई योग्य कैसे होगी ? कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को रिट याचिका के रुप में रखे, आपने जो अपील दायर की है वो पूरक याचिका है.
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मुस्लिम पक्ष ने पूजा पर तत्काल रोक लगाने की मांग की
हाई कोर्ट के निर्देश के बाद मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वो जल्द ही अपनी अपनी में संशोधन करेंगे लेकिन तब तक अदालत यहां पूजा पर रोक लगाये और पूर्व स्थिति तो बनाये रखे. हिंदु पक्ष ने इसका विरोध किया . हिंदु पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने अपन दलील रखते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.