अयोध्या:श्रीराम जन्मभूमि Shri Ram Janmabhoomi के नए और दिव्य मन्दिर में कल राम लला की मूर्ति अपने मूल स्थान पर पहुंच गई है. प्राण प्रतिष्ठा से पहले हुए अनुष्ठान में रामलला मंदिर में विराजमान हो गए हैं.6 दिसंबर 1992 की घटना के बाद रामलला ने 28 साल तक टेंट में गुजारे हैं.अब वह अचल विग्रह के प्राणाधान की वैदिक प्रक्रिया के साक्षी बनेंगे.
Shri Ram Janmabhoomi पर 53 साल बाद राम जी अपने घर विराजे
राम लला को 53 साल की लड़ाई के बाद अब उनका भव्य महल बनकर तैयार हो रहा है.1992 के बाद राम लला की 25 मार्च 2020 को दोबारा सुविधा पूर्ण कुटिया में आवासीय व्यवस्था मिली, लेकिन इस कारण उन्हें अपना निज स्थान छोड़ना पड़ा.अब भगवान राम अपने निजी स्थान पर आ गए है.अब विराजमान रामलला के भव्य महल में प्रवेश के कारण आम श्रद्धालुओं का श्री राम जन्मभूमि में प्रवेश 22 जनवरी तक निषिद्ध हो गया है.
21 जनवरी को होगा पदार्पण
उत्सव विग्रह के रूप में उनका साथ निभाने के लिए रजत विग्रह का भी प्रदार्पण होगा.इनका गर्भगृह में पदार्पण शैर्याधिवास के समय 21 जनवरी को होगा.वहीं अचल विग्रह के साथ साथ रजत विग्रह का भी अधिवास चल रहा है.चल रहे प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के चौथे दिन सुबह 9 बजे अरणि मंथन से यज्ञ कुंड में अग्नि देव का प्राकट्य हो गया.वैदिक मंत्रों से अग्निदेव के आवाह्न के उपरांत यज्ञकुंड में उनकी प्रतिष्ठा की गयी.द्वारपालों द्वारा सभी शाखाओं का वेदपारायण,देवप्रबोधन, औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, कुण्डपूजन, पंच भूसंस्कार किया गया है.
अनुष्ठान के लिए के काशी के विद्वान आये
प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में अलग अलग अधिवासों का बड़ा महत्व है.अनुष्ठान के लिए के काशी से आये विद्वान बताते हैं कि मानव जीवन के लिए उपयोगी पदार्थों में भगवान का अधिवास कराया जाता है.पंच महाभूतों की उर्जा इन पदार्थों में आ समाहित है.इससे विग्रह में शक्तियों का आधान होता है और विग्रह ऊर्जा से परिपूर्ण व विशिष्ट आभा से युक्त हो जाती है.अगर आसान शब्दों में कहे तो विग्रह में किसी प्रकार की त्रुटि हो तो उसका भी परीक्षण हो जाता है.