दिल्ली:दिल्ली-एनसीआर, पंजाब सहित चंड़ीगढ़ और जम्मू कश्मीर में एक बार फिर भूकंप के झटके Tremors of earthquake देखने को मिले. भूकम्प से एक बार फिर धरती कांप उठी.ये झटके काफी देर तक महसूस किए.भूकंप के आते ही लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने घरों और दफ्तर से बाहर निकल आए.अभी तक किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं मिली है.
Earthquake of Magnitude:6.1, Occurred on 11-01-2024, 14:50:24 IST, Lat: 36.48 & Long: 70.45, Depth: 220 Km ,Location: Afghanistan for more information Download the BhooKamp App https://t.co/fN2hpmK3jO @KirenRijiju @Ravi_MoES @Dr_Mishra1966 @ndmaindia @Indiametdept pic.twitter.com/q5pkBVscsW
— National Center for Seismology (@NCS_Earthquake) January 11, 2024
Earthquake का केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद में
भूकंप आने का केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद में था और हिंद्कुश क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.1 रही.
पाकिस्तान में भी भूकम्प के तेज झटके महसूस किए गए.पाकिस्तान के अलावा जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के पीर
पंचाल क्षेत्र के दक्षिण में भी भूकंप के ये झटके महसूस किये गये.भूकंप के ये झटके केवल भारत ही नहीं
बल्कि पड़ोसी कई पड़ोसी मुल्क में भी महसूस किए गए. भूकम्प के आने के बाद कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें लोगों अपने घरों और दफ्तरों से बाहर भागते हुए दिख रहे हैं.
एक्सपर्ट जारी कर चुके है चेतावनी
भूकंप को लेकर एक्सपर्ट दिल्ली- एनसीआर को लेकर पहले ही चेतावनी जारी कर चुके है.उनका कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है.ये कब आयेगा इसकी पुष्टि अभी नहीं की गई है. दिल्ली-एनसीआर के नीचे 100 से ज्यादा लंबी और गहरी फॉल्ट्रस हैं. इसमें से कुछ दिल्ली-हरिद्वार रिज, दिल्ली-सरगोधा रिज और ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट पर हैं. इनके साथ ही कई सक्रिय फॉल्ट्स भी इनसे जुड़ी हुई हैं.
इस कारण आते हैं भूकंप
अगर हम वैज्ञानिक तरीके से समझे तो हमें थोड़ा पृथ्वी की संरचना को समझना होगा. पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर
स्थित है.जिसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस लावे पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं.इसी प्रक्रिया के दौरान कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं.प्लेटों के बार-बार टकराने से कई बार उनके कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली एनर्जी बाहर की ओर निकलने का रास्ता ढूंढती है. जब
इससे डिस्टरबेंस बनता है तो इसी के बाद भूकंप आता है.