अयोध्या:जनवरी 22 को अयोध्या में श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली गया.इस भव्य होने वाली प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्रीराम के ससुराल से खास उपहार भेजा गया है.राम जी की अर्धांगिनी मां सीता की नगरी नेपाल के जनकपुरधाम से अयोध्या में उपहार भेजा गया है. उपहार के रूप में ‘शिवलिंग रुद्राक्ष पौधे Shivalinga Rudraksha plants भेजे गए हैं.
Shivalinga Rudraksha plants हैं दुर्लभ पौधे
4 जनवरी की शाम रामकालीन इन दुर्लभ पौधे को अयोध्या जा रहे श्रद्धालुओं को दिया गया.जानकी मंदिर से दुधमती नदी संरक्षण अभियान से जुड़े सुदीप मंडल ने ये दुर्लभ पौधे अयोध्या भेजे हैं . शिवलिंग रूद्राक्ष पौधा लेकर श्रद्धालुओं की टीम अध्योध्या के लिए रवाना हुई. इस टीम में पर्यावरणविद् हरीश चंद्र यादव, विश्वलाल सिंह, प्रमोद अग्रवाल, विनोदानंद झा व वृक्ष मानव के रूप में मशहूर सुरेश शर्मा शामिल रहे.
रामायण के समय के हैं पौधे
ये शिवलिंग रुद्राक्ष पौधे को रामकालीन बताया जाता हैं.पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वर्षों से सक्रिय वृक्ष मानव सुरेश शर्मा ने बताया कि वे अपनी जमीन पर शिवलिंग रूद्राक्ष पौधे तैयार कर रहे हैं. वृक्ष मानव सह पर्यावरणविद् सुरेश शर्मा ने बताया कि शिवलिंग रुद्राक्ष के पहले भी 55 दुर्लभ रामायणकालीन पौधे अयोध्या भेजे जा चुके हैं.अयोध्या में प्रवेश करते ही इन पौधों से राममय वातावरण का एहसास होगा.राम वन गमन पथ पर पड़ने वाले सभी बाग व बगानों में इसी तरह के पौधे नजर आएंगे.इससे पर्यावरण सुधरेगा.पूरी अयोध्या में आधुनिक तकनीक व वैदिक विधि से रामकालीन पौधे का रोपण हो रहा है.
देवराई पद्धति से किया जा रहा पौधरोपण
दुर्लभ पौधे के साथ अयोध्या जा रहे हरीश चन्द्र यादव ने बताया कि इन पौधे का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है.सुरेश शर्मा ने बताया कि वे कई वर्षों से इस तरह के दुर्लभ पौधे को संरक्षित कर विभिन्न धार्मिक स्थलों पर पौधारोपण करते आ रहे हैं.उन्होंने बताया कि पौधरोपण देवराई पद्धति से किया जा रहा है. इस पद्धति में आधा से एक फीट की दूरी पर पौधे रोपे जाते हैं.इससे पौधे सिर्फ ऊपर से ही सूर्य की किरणें प्राप्त करते हैं. सघनता की वजह से ये पौधे सूरज की रोशनी को धरती पर नहीं आने देते.इससे नीचे दूसरे खरपतवार नहीं उग पाते हैं और रोपे गये पौधे ऊपर की ओर अधिक वृद्धि करते हैं.तीन वर्षों के बाद इन पौधों को देखभाल की आवश्यकता नहीं रहती.पौधों की वृद्धि दस गुना व सघनता 30 गुना अधिक हो जाती है.