ब्यूरो रिपोर्ट : देश में लोकसभा चुनाव होने में सिर्फ चार से पांच महीने का समय बचा हुआ है. ऐसे में अब राज्य समेत देश की तमाम राजनीतिक पार्टी अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गयी हैं. ऐसी चर्चा है कि राज्यों की तमाम छोटी – बड़ी राजनीतिक पार्टियां जो इस बार मैदान में भाजपा के खिलाफ होंगी उन्होंने मोटे तौर पर कैंडिडेट का नाम भी तय कर लिया है. इस बात की पक्की मुहर उस समय लगी जब बिहार की सत्ता में काबिज एक नेता ने स्वीकार किया कि पार्टी के अंदर उनका टिकट तय हो गया है और सीतामढ़ी का चुनाव Devesh Chandra Thakur लड़ेंगे.

Devesh Chandra Thakur ने किया ऐलान
जेडीयू नेता देवेश चंद्र ठाकुर ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि अब वे आगामी लोकसभा चुनाव सीतामढ़ी से लड़ेंगे. देवेश चंद्र ठाकुर के इस ऐलान के बाद अब ये समझा जा रहा है कि मौजूदा सांसद सुनील कुमार पिंटू का सीतामढ़ी से टिकट कटना तय हो गया है. बीजेपी द्वारा राजस्थान में ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाए जाने पर बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि भाजपा ने किसी ब्राह्मण को मुख्यमंत्री नहीं बनाया बल्कि ब्राह्मणों ने मिलकर भाजपा को बनाया है.
राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा द्वारा स्वाभिमान महासम्मेलन का आयोजन बापू सभागार में किया गया, जिसमें ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों का जुटान हुआ. सरकार को ब्राह्मण समाज द्वारा अपनी ताकत दिखाने के लिए इसका आयोजन किया गया. इसमें शिरकत करने पहुंचे विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि वे लोकसभा 2024 का चुनाव लड़ेंगे. जदयू के वर्तमान में 16 सांसद हैं. जिसमें सीतामढ़ी सीट भी जदयू के पास ही है. इस सीट पर वर्तमान में सुनील कुमार पिंटू सीटिंग एमपी हैं. हालांकि, सुनील पिंटू इसके पहले भाजपा के साथ रहे हैं. इतना ही नहीं जदयू के भाजपा से अलग होने के बाद भी वो भाजपा का गुणगान करते हुए नजर आ रहे हैं. ऐसे में इस बात की चर्चा तेज है कि जदयू इस बार उनका पत्ता काट सकती है. वहीं, खुद के सीतामढ़ी से चुनाव लड़ने की बात कहते हुए देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि मेरी पार्टी आलाकमान से बात हो चुकी है और उनकी तरफ से सीतामढ़ी से चुनाव लड़ने को लेकर हरी झंडी भी मिल गई है. लिहाजा उनकी बातों को सच माना जाए तो सुनील पिंटू का टिकट कटना तय है और जिस तरह सुनील पिंटू अपना तेवर दिखा रहे हैं ऐसे में उनका जदयू से भी बाहर होना लगभग तय माना जा रहा है.
सीतामढ़ी लोकसभा सीट पर कुल 16 चुनाव
सीतामढ़ी लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से अब तक कुल 16 चुनाव हुए हैं. इसमें सबसे अधिक पांच बार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. कांग्रेस के उम्मीदवार सीतामढ़ी सीट पर 1957 से 1984 के बीच 5 बार जीते हैं. जबकि राजद और जदयू के उम्मीदवारों के खाते में 2-2 बार यह सीट गई है. हालांकि, पिछले तीन चुनावों में उसी उम्मीदवार को जीत मिली है, जिसे भाजपा का समर्थन मिला है. तीन चुनावों में दो बार जदयू के उम्मीदवार जीते हैं. लेकिन 2014 में जदयू ने जब भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ा था तो भाजपा की सहयोगी पार्टी रालोसपा के उम्मीदवार रामकुमार शर्मा को इस सीट से जीत मिली थी. आपको बताते चलें कि, सीतामढ़ी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा सीटों में से तीन में भाजपा के विधायक हैं. वैसे तो 2020 में जिस दलीय स्थिति में चुनाव हुआ था, उसके मुताबिक तो एनडीए ने पांच सीटें जीती थी. लेकिन चूंकि अब जदयू महागठबंधन में है, इसलिए उसके दो और राजद के एक विधायक को जोड़कर महागठबंधन के पास भी तीन विधायक हैं.

