बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी जाति जनगणना की मांग सर उठाने लगी है. जाति गणना की मांग को लेकर लगभग पूरा विपक्ष और यूपी में बीजेपी के कई सहयोगी दल एकमत नजर आ रहे हैं. इस बीच बुधवार को यूपी सरकार और बीजेपी के बड़े ओबीसी चेहरे, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार जाति-आधारित जनगणना के खिलाफ नहीं हैं.
शून्यकाल के दौरान दिया विधान परिषद में जवाब
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जो विधान परिषद में सदन के नेता भी है ने शून्यकाल के दौरान दिए गए सपा के स्थगन प्रस्ताव नोटिस का जवाब देते हुए कहा, “सपा सदस्य अच्छी तरह से जानते हैं कि ऐसी जनगणना का आदेश केवल केंद्र द्वारा दिया जा सकता है. हमारा वरिष्ठ नेतृत्व पहले ही कई मौकों पर साफ कर चुका है कि वे जाति जनगणना के विरोध में नहीं हैं. सपा जातीय जनगणना की बात तो करती रहती है, लेकिन असल में इसके पक्ष में नहीं दिखती. जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ क्यों नहीं किया?”
एसपी ने उठाया था जाति गणना का मुद्दा
विधान परिषद में सपा एमएलसी लाल बिहारी यादव, नरेश उत्तम पटेल और आशुतोष सिन्हा ने जाति जनगणना पर भाजपा को घेरने हुए कहा कि, “हम जाति आधारित जनगणना चाहते हैं, लेकिन भाजपा ने सभी जनगणना रोक दी है. 2011 में जाति जनगणना हुई लेकिन आंकड़े जारी नहीं किये गये. और, अब, 2023 में, सभी जनगणना अभ्यास रोक दिए गए हैं, ”
वहीं , सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी कहा, ‘बीते दिनों बीजेपी नेता दिवंगत गोपी नाथ मुंडे ने संसद में कहा था कि अगर जाति जनगणना नहीं कराई गई तो देश कम से कम 10 साल पीछे चला जाएगा. 2019 में, तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जाति जनगणना की मांग का समर्थन किया था.
बाद में जब केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी बात रखते हुए ये कहा कि जनगणना केंद्उर का काम है तो नाराज़ सपा सदस्यों ने वाकआउट कर दिया.
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