Friday, November 22, 2024

Chhath Puja: दूसरा दिन खरना आज, नोट कर ले सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

पटना. लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा Chhath Puja की शुरुआत हो गई है. कल नहाय खाय के साथ चार दिन की छठ पूजा का शुभारंभ हो चुका है. जबकि 18 को यानी आज खरना, तो 19 को शाम को अर्घ्य दान और 20 को सुबह अर्घ्य के बाद पारण होगा. चार दिवसीय यह कठोर व्रत का त्योहार बेहद खास संदेश देता है. छठ पर्व के दौरान डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि जीवन में अगर कोई आपके आसपास डूब रहा हो यानी कि गरीब, दुखी हो, परेशानी में हो तो उसकी मदद करनी चाहिए.

Chhath Puja
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Chhath Puja, नहाय खाय से अस्ताचलगामी अर्घ्य तक कैसे और क्या खाया जाता है

इस चार दिन महापर्व का पहला दिन नहाय खाय होता है, जो कि कल यानी 17 नवंबर को था. इस दिन गंगा स्नान कर या फिर घर में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जाता है. इसके बाद सेंधा नमक के इस्तेमाल से बनी कद्दू की सब्जी, चने की दाल, अरवा चावल का भात, आंवले की चटनी आदि का प्रसाद व्रती ग्रहण करते हैं.

दूसरे दिन खरना होता है. इस दिन व्रती गुड़, दूध और अरवा चावल की खीर और रोटी से खरना करेंगी. इसके बाद भगवान को अर्पण करने के बाद खुद खाएंगी. खीर-रोटी का प्रसाद श्रद्धालुओं को भी खिलाया जाता है.

बात अगर खरना के समय की करें तो, 18 नवंबर को सूर्योदय का समय सुबह 06:46 बजे का रहेगा और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा.

खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे निर्जला-निराहार व्रत शुरू हो जाता है. खीर बनाते समय भी शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता है. इन चार दिनों के दौरान व्रती अपने शरीर को भी बिल्कुल शुद्ध रखते हैं.

ऐसा माना जाता है कि माता छठी की पूजा करने से बच्चों पर आने वाले सभी संकट का नाश हो जाता है. मान्यता है कि, इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके आरंभ किया था. छठ पूजा में घंटों पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य की आराधना की जाती है.

आखरी दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

अस्ताचलगामी अर्घ्य 19 नवंबर को होगा. इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य यानी कि डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके अलावा इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए सूप को ठेकुआ, फल आदि से सजाया जाता है. फिर डूबते हुए सूर्य को किसी भी नदी या पानी में खड़ा होकर दूध या पानी से अर्घ्य दिया जाता है.

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान में अन्न या धन देने से विशेष फल प्राप्त होता है. दान देने से माता छठी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं.

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